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सुप्रभ
Meanings: 16; in Dictionaries: 7
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सुप्रकेत
Meanings: 5; in Dictionaries: 3
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ସୁପ୍ରଭ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.3351673 | Lang: NA
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সুপ্রভ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ਸੁਪ੍ਰਭ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.3351673 | Lang: NA
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સુપ્રભ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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سُپٛرَب
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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सुप्रभः
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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shining
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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shiny
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
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burnished
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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lustrous
Meanings: 7; in Dictionaries: 6
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bright
Meanings: 17; in Dictionaries: 6
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gorgeous
Meanings: 8; in Dictionaries: 5
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उथाळा
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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उथाळी
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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उथाळें
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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महातपस्
Meanings: 8; in Dictionaries: 3
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effulgent
Meanings: 4; in Dictionaries: 2
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lustre
Meanings: 18; in Dictionaries: 9
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radiate
Meanings: 21; in Dictionaries: 9
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splendid
Meanings: 9; in Dictionaries: 4
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lucid
Meanings: 12; in Dictionaries: 4
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सुतारा
Meanings: 11; in Dictionaries: 8
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श्रीत्रिशक्ति -- त्रिमूर्त्तिस्तोत्रम्
स्वामि श्री भारतीकृष्णतीर्थ यांनी जी देवदेवतांवी स्तुती केली आहे, अशी क्वचितच् इतरांनी कोणी केली असेल.
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तुटलेले दुवे
डॉ. माधव त्रिंबक पटवर्धन ऊर्फ माधव जूलियन, (जन्म २१ जानेवारी १८९४; मृत्यु २९ नोव्हेंबर १९३९) हे मराठी भाषेतील प्रतिथयश कवी होऊन गेले.
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श्रीत्रिशक्ति -- त्रिमूर्त्तिस्तोत्रम्
स्वामि श्री भारतीकृष्णतीर्थ यांनी जी देवदेवतांवी स्तुती केली आहे, अशी क्वचितच् इतरांनी कोणी केली असेल.
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grand
Meanings: 15; in Dictionaries: 4
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glory
Meanings: 21; in Dictionaries: 4
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रामज्ञा प्रश्न - द्वितीय सर्ग - सप्तक ४
गोस्वामी तुलसीदासजीने श्री. गंगाराम ज्योतिषीके लिये रामाज्ञा-प्रश्नकी रचना की थी, जो आजभी उपयोगी है ।
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अध्याय दुसरा - श्लोक २०१ से २३३
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते.
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माघ
Meanings: 31; in Dictionaries: 11
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अध्याय दहावा
श्रीनित्यानंदतीर्थविरचित श्रीमार्कण्डेयपुराणांतर्गत श्रीदेवीविजय.
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अध्याय नववा - श्लोक ५१ ते १००
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते.
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अध्याय ८९ वा - श्लोक ५१ ते ५५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय छ्त्तीसावा - श्लोक १ ते ५०
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते .
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मोरोपंतकॄत सप्तशती - अध्याय ८
सप्तशतीदेवी माहात्म्य नित्य पठन केल्याने सर्व शत्रूंचा नाश होतो, विशेषेकरून नवरात्रीत पाठ केल्याने जास्त परिणाम जाणवतात.
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श्रीनाथलीलामृत - अध्याय १८ वा
नाथसंप्रदाय भारताच्या सांस्कृतिक इतिहासांत महनीय स्थान पावलेला संप्रदाय आहे.
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श्रीविष्णुपुराण - द्वितीय अंश - अध्याय ४
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
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श्रीनाथलीलामृत - अध्याय १३ वा
नाथसंप्रदाय भारताच्या सांस्कृतिक इतिहासांत महनीय स्थान पावलेला संप्रदाय आहे.
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अध्याय आठवा - श्लोक २५१ ते ३१६
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते.
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अध्याय चवथा - श्लोक १५१ से २००
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते.
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सप्तशती आर्या - अध्याय ८
मोरोपंतांनी सप्तशती आर्या लिहून मराठी जनांवर उपकार केले आहेत.
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तृतीय चरित्र - अध्याय सहावा
मोरोपंत हे जरी संत नव्हते, तरी सदाचरणी, सच्छील असे ते एक विद्वान् गृहस्थाश्रमी होते.
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अध्याय छ्त्तीसावा - श्लोक ५१ ते १००
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते .
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’ श्रीनाथलीलामृता ’ चे नवाहपारायण
नाथसंप्रदाय भारताच्या सांस्कृतिक इतिहासांत महनीय स्थान पावलेला संप्रदाय आहे.
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अध्याय ६ वा - श्लोक ३६ ते ३८
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अधिकमास माहात्म्य - अध्याय एकोणतिसावा
अधिकमास माहात्म्य - अध्याय एकोणतिसावा
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light
Meanings: 78; in Dictionaries: 12
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श्रीसिद्धचरित्र - अध्याय चौथा
श्रीपतिनाथ विरचित श्रीसिद्धचरित्र ग्रंथ शके १८०५ (इ.स.१८८३) मध्ये लिहीला गेला.
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