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लीलावती
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লীলাবতী
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ଲୀଳାବତୀ
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ਲੀਲਾਵਤੀ
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लिलावती
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لیٖلاؤتی
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لِیلاوتی
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લીલાવતી
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सिंहासन बत्तिसी - लीलावती
रंजक कथाएँ बच्चे तथा जवान, बूढेभी बडे चावसे पढते है।
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रामकृष्णदेव
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वर्गकर्म
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रामकृष्णदेवः
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coquette
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सिद्धान्तशिरोमणि
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बुद्धिविलासिनी
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विलासवती
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जनापवाद
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प्रस्थः
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कवणें
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coquet
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flirt
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शत्रुजित
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उत्तर पर्व - अध्याय २०४
भविष्यपुराणांत धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेक आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष अणि आयुर्वेद शास्त्र वगैरे विषयांचा अद्भुत संग्रह आहे.
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ध्रुवसंधि
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४६५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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यशवंतराय महाकाव्य - सर्ग चवथा
श्री. वासुदेव वामन शास्त्री खरे यांनीं रचिलेंले.
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श्री सत्यनारायण भगवान की कथा - तृतीय अध्याय
सत्यनारायण व्रतके प्रभावसे मनुष्योंकी आत्मा शुद्ध होती है ।
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अविक्षित्
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वैशालिनी
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युद्धाजित्
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः ५४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः ५३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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श्रीनाथलीलामृत - अध्याय ९ वा
नाथसंप्रदाय भारताच्या सांस्कृतिक इतिहासांत महनीय स्थान पावलेला संप्रदाय आहे.
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दुर्गा
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श्री सत्यनारायण भगवान की कथा - चतुर्थ अध्याय
सत्यनारायण व्रतके प्रभावसे मनुष्योंकी आत्मा शुद्ध होती है ।
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मार्कण्डेयपुराणम् - अथैकोनविंशत्यधिकशततमोऽध्यायः
मार्कण्डेय पुराणात नऊ हजार श्लोकांचा संग्रह आहे.
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सार्थ श्रीसत्यनारायण पूजा कथा - अध्याय तिसरा
सार्थ श्रीसत्यनारायण पूजा कथा - अध्याय तिसरा Satyanarayan Katha Part 3
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गिरिराजखण्डः - अध्यायः ०९
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः ९२
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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उत्तरखण्डः - अध्यायः १२१
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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अध्याय ३ रा - श्लोक ११ ते १५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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ब्रह्मखण्डः - अध्यायः ७
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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विश्वजितखण्डः - अध्यायः ४८
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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अध्याय १४६ - अष्टाष्टकदेव्यः
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ८६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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विशेषव्रतपूजाः - सत्यनारायणव्रतकथाः
सर्व जगतात हिंदू धर्माची व्याख्या होते ती, धर्मातील उपासना आणि उत्सवप्रियतेमुळे, आणि यांना जोड असते व्रत-वैकल्याची आणि धार्मिक पूजेची.
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मथुराखण्डः - अध्यायः १५
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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विश्वजितखण्डः - अध्यायः ४३
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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अथाष्टसप्ततितमः पटलः - सिद्धकुलचक्रमण्डलम्
कण्ठाम्भोजभेदप्रकाशः
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विश्वजितखण्डः - अध्यायः २६
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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