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देव सर्वत्र जगीं भरला, तो कैसा दिसे निराळा

   
Script: Devanagari

देव सर्वत्र जगीं भरला, तो कैसा दिसे निराळा

   परमेश्वर सर्व स्थिरचर व्यापून असल्यामुळें आपणांस तो त्यावेगळा दिसून येत नाहीं. सर्वत्र परमेश्वर आहेच त्यांवाचून रिता ठाव कोठेंच नसल्यामुळे त्यास आपणांस इतर गोष्टींपासून वेगळें करुन पाहतां येत नाहीं. तु०-स्थिरचर व्यापुनि अवघें जो जगदात्मा दशांगुळें उरला।

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