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जन्मतः
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ജന്മം എടുത്ത
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زینہٕ پٮ۪ٹھ
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जल्मता
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जन्म से
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congenitally
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नऊ अंगुळी, संध्येची पळी
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ईश्र्वराने मनुष्या केलें सात्त्विक, स्वबुद्धीनें होती अधार्मिक
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जीवनसङ्घर्षः
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भांडी
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स्फोटः
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धर्मपिता
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लुळा
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ब्रह्मचारी
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भांड
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भाण
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birth
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लुला
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धर्मशर्मन
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physic
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बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् - अध्याय ९६
`बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम्` हा ग्रंथ म्हणजे ज्योतिष शास्त्रातील मैलाचा दगड होय.
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विष्णुस्मृतिः - अध्यायः ३२
स्मृतिग्रंथ म्हणजे धर्मशास्त्रावरील एक आवश्यक वचनांचा भाग.
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since
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अपकर्ष
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बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् - अध्याय ४
` बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम्` हा ग्रंथ म्हणजे ज्योतिष शास्त्रातील मैलाचा दगड होय.
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बृहद्यात्रा - लग्नबल
‘ गणित ज्योतिष' या विषयावरील वराहमिहीराने लिहीलेला हा ग्रंथ ज्योतिषप्रेमींसठी अत्यंत उपयोगी आहे
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life
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from
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ब्रह्मखण्डः - अध्यायः ६
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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मयमतम् - अथ विंशोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
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चाक्षुष
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धृत
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nature
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प्रेतकाण्डः - अ्ध्यायः २५
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम् - अध्याय ९
` बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम्` हा ग्रंथ म्हणजे ज्योतिष शास्त्रातील मैलाचा दगड होय.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः १००
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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उपसंहार
प्रस्तुत ओव्या वाचत असताना साधक एका वेगळ्याच अनुभवानं भारला जातो.
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अथ ऐंद्री शान्तिः ।
आयुष्याच्या तृतीयावस्थेत शरीराच्या ठिकाणी अनेक आघात - आजार, इंद्रिय - वैफल्य होण्याचा संभव असतो तो टाळला जावा आणि उर्वरित आयुष्य सुखाने जावे म्हणून वय पन्नासपासून दर पाच वर्षांनी ऋषिमुनींनी शांती सांगितल्या आहेत.
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अध्याय १४४ - कुब्जिकापूजा
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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अथ वारुणी शान्तिः ।
आयुष्याच्या तृतीयावस्थेत शरीराच्या ठिकाणी अनेक आघात - आजार, इंद्रिय - वैफल्य होण्याचा संभव असतो तो टाळला जावा आणि उर्वरित आयुष्य सुखाने जावे म्हणून वय पन्नासपासून दर पाच वर्षांनी ऋषिमुनींनी शांती सांगितल्या आहेत.
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जातकपारिजात - राशिशिलाध्यायः
दैवज्ञश्रीवैद्यानाथरचित जातक पारिजात या संस्कृत ग्रंथात सूर्य फल, नवग्रह फल, योग पिहित, भाव विचार, विषाख्य कन्या, राज्ययोग, आयुर्बल, व्यत्ययविचार, अरिष्टादि योग आणि सर्व प्रकारचे अरिष्ट नाश होणारे उपाय वर्णन केले आहेत.
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः ५४
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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घटोत्कच
Meanings: 13; in Dictionaries: 10
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अभिमन्यु
Meanings: 23; in Dictionaries: 6
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दृष्टी
Meanings: 43; in Dictionaries: 2
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शतरुद्रसंहिता - अध्यायः ३१
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः १३७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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मयमतम् - अथ एकविंशोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
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काशीखण्डः - अध्याय ३६
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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कर्मविपाकसंहिता - कृत्तिका नक्षत्र
कर्मविपाकसंहितासे बडी सुगमतासे लोग अपना पूर्वजन्म का वृत्तांत जान सकते है और विधिपूर्वक प्रायश्चित्त करने से अपने मनोरथों को सिद्ध कर सकते है।
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