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आबनूसी
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गालवः
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ebony
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ଗାଲବ ଋଷି
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गालव
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গালব
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ਗਾਲਵ
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ગાલવ
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கருங்காலி மரத்திலான
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చేవమాను
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આબનૂસી
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ഈത്തടിയിലുള്ള
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तिन्दुकीयम्
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diospyros ebenum
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ebony tree
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আবলুসী
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ਆਬਨੂਸੀ
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آبنوسی
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टेंबुरणी
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ebon
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ಕಾಡಿಗೆಕಪ್ಪು
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କାଠର
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lodh
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प्रायश्चित्तमयूख - प्रायश्चित्त ९२ वे
विधिविहित नित्यकर्म (संध्यादि) न केल्यामुळे, पाप केल्याने व सुरा इत्यादि निषिद्ध पदार्थांचे सेवन केल्यानें त्याच्या शुद्धिसाठी जें कर्म सांगण्यात येतें तें प्रायश्चित्त होय.
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नागरखण्डः - अध्याय ५६
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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तृतीयपरिच्छेद - देवार्चा
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल , याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे .
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वनौषधिवर्गः - श्लोक १४१ ते १८०
अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है।
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः ९२
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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नागरखण्डः - अध्याय ५
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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नागरखण्डः - अध्याय १४
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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नागरखण्डः - अध्याय ५९
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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उत्तरखण्डः - अध्यायः ८१
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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उत्तरकांडम् - काव्य १ ते ५०
उत्तरकाण्डम् या प्रकरणातील श्लोकातील सातवे अक्षर श्री रा म ज य रा म ज य ज य रा म असे आहे.
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सेतुखण्डः - अध्याय ३
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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नागरखण्डः - अध्याय २६६
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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पूर्वार्धम् - अध्यायः ३४
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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सेतुखण्डः - अध्याय ८
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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अध्याय ३६३ - भूमिवनौषध्यादिवर्गाः
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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अवन्तीस्थचतुरशीतिलिङ्गमाहात्म्यम् - अध्याय २१
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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प्रभासक्षेत्र माहात्म्यम् - अध्याय २५५
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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नागरखण्डः - अध्याय २४३
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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तृतीय परिच्छेद - मासिकें
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल , याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे .
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४३५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४४१
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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स्वर्गखण्डः - अध्यायः ३९
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ६६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कौमारिकाखण्डः - अध्यायः ०७
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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द्वितीय परिच्छेद - महालयश्राद्धाच्या देवता
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल , याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे .
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वेंकटेश्वर माहात्म्य - दशमोऽध्यायः
Venkateshwara also known as Venkatachalapathy or Srinivasa or Balaji, is the supreme God believed to be a form of the Hindu Deity Lord Vishnu.
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