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धृतराष्ट्रः
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ധൃതരാഷ്ട്രര്
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திருதராஷ்டர்
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ଧୃତରାଷ୍ଟ୍ର
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దృతరాష్ట్రుడు
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धृतराष्ट्र
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ધૃતરાષ્ટ્ર
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ದೃತರಾಷ್ಟ್ರ
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دھرِت راشٹر
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ধৃতৰাষ্ট্র
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ਧ੍ਰਤਰਾਸ਼ਟਰ
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دُھت راشٹرٕٛ
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ਧਿਤਰਾਸ਼ਟਰ
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ধৃতরাষ্ট্র
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প্রশংসনীয়
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पितृव्यः
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अष्टकुलम्
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अध्याय १८० - पञ्चमीव्रतानि
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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सर्पबाधानिवृत्तिकरश्लोकाः - अनन्तोवासुकिः शेषः पद्मना...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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वेणीसंहारः - पञ्चमोऽङ्कः
भट्ट नारायण संस्कृत के महान नाटककार थे। वे अपनी केवल एक कृति वेणीसंहार के द्वारा संस्कृत साहित्य में अमर हैं।
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ब्रह्मकाण्डः - अध्यायः ९
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः २१२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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आचारकाण्डः - अध्यायः १४५
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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पूर्वभागः - अध्यायः ५५
अठरा पुराणांमध्ये भगवान् शंकराची महान महिमा लिंगपुराणात वर्णिलेली आहे. यात ११००० श्लोक आहेत. प्रथम योग आणि नंतर कल्प असे विवेचन गुरू वेदव्यास यांनी या पुराणात सांगितले आहे. हा शिव पुराणाच पूरक ग्रंथ आहे.
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अध्याय ७४ वा - श्लोक १० ते १५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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नागरखण्डः - अध्याय ७३
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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प्रथमः स्कन्धः - अध्यायः १३
भागवत पुराणात पुढे येणार्या कलियुगात काय घडणार आहे, याबद्दलचे सविस्तर वर्णन केले आहे.
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प्रथमः स्कन्धः - अथ त्रयोदशोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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हरिवंश पर्व - षष्ठोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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रामानुजभाष्य - अध्याय १
वेदान्तचा शाब्दिक अर्थ आहे, वेदांचा अंत अथवा सार. ही ज्ञानयोगाची एक शाखा आहे, जी व्यक्तिला ज्ञान प्राप्तिच्या दिशेने उत्प्रेरित करते. वेदान्तच्या तीन मुख्य शाखा आहेत, अद्वैत वेदांत, विशिष्ट अद्वैत आणि द्वैत.
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भर्गाख्यः पञ्चमांशः - अष्टदशोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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भर्गाख्यः पञ्चमांशः - त्रयोविंशोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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भूमिखंडः - अध्यायः २९
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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दशावतारचरित्रम् - कृष्णावतारोऽष्टमः
संस्कृत भाषेतील काव्य, महाकाव्य म्हणजे साहित्य विश्वातील मैलाचा दगड होय, काय आनंद मिळतो त्याचा रसास्वाद घेताना, स्वर्गसुखच, त्यातीलच एक काव्य म्हणजे महाकविश्रीक्षेमेन्द्र रचित दशावतारचरित्रम्.
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अनेकार्थसङ्ग्रहः - चतुःस्वरकाण्डः
आचार्यश्रीहेमचन्द्रेण विरचितः अनेकार्थसङ्ग्रहो नाम कोशः
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उत्तरार्धम् - अध्यायः ८
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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