नवविधाभक्तिनाम - ॥ समास पहला - श्रवणभक्तिनिरूपणनाम ॥

‘हरिकथा’ ब्रह्मांड को भेदकर पार ले जाने की क्षमता इसमें है ।


॥ श्रीरामसमर्थ ॥
जयजयाजी गणनाथा । आप विद्या वैभव के समर्थ । अध्यात्मविद्या का परमार्थ । कहलाओ मुझसे ॥१॥
वेदजननी शारदा को नमन । सकल सिद्धि जिसके ही कारण । मानस का मनन में प्रवर्तन । स्फूर्तिरूप से ॥२॥
अब स्मरण करूं सद्‌गुरुवर । जो परा से भी पर । जिनसे ज्ञान विचार । समझने लगे ॥३॥
पूछा श्रोताओं ने उत्तम प्रश्न । कैसे करे भगवद्भजन । इस कारण सहज करूं कथन । ग्रंथातर्गत ॥४॥
श्रोताजन होकर सावधान । सुनें नवविधा भजन । सच्छास्त्रों में कहा है पावन । होते हैं जिससे ॥५॥

॥ श्लोक ॥    
श्रवणं कीर्तनं विष्णोः स्मरणं पादसेवनं ।
अर्चनं वंदनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम् ॥

श्रवण कीर्तन विष्णोःस्मरण । पादसेवन अर्चन वंदन । दास्य सख्य आत्मनिवेदन । ऐसी ये नवविधा ॥६॥
कहे नवविधा भजन । इनका ही आगे किया प्रांजल कथन । श्रोताओं ने अवधान । देना चाहिये अब ॥७॥
प्रथम भजन यह जान । हरिकथापुराणश्रवण । नाना अध्यात्मनिरूपण । सुनते जायें ॥८॥
कर्ममार्ग उपासनामार्ग । ज्ञानमार्ग सिद्धांतमार्ग । योगमार्ग वैराग्यमार्ग । सुनते जायें ॥९॥
नाना व्रतों की महिमा । नाना तीर्थों की महिमा । नाना दान की महिमा । सुनते जायें ॥१०॥
नाना माहात्म्य नाना स्थान । नाना मंत्र नाना साधन । नाना तप पुरश्चरण । सुनते जायें ॥११॥
दुग्धाहारी निराहारी । फलाहारी पर्णाहारी । तृणाहारी नाना हारी । कैसे सो सुनें ॥१२॥
उष्णवास जलवास । शीतवास अरण्यवास । भूगर्भ और आकाशवास । कैसे सो सुनें ॥१३॥
जपी तपी तामस योगी । नाना निग्रह हठयोगी । शाक्तआगम अघोरयोगी । कैसे सो सुनें ॥१४॥
नाना मुद्रा नाना आसन । नाना दर्शनीय लक्ष्यस्थान । पिंडज्ञान तत्त्वज्ञान । कैसे सो सुनें ॥१५॥
नाना पिंडों की रचना । नाना भूगोलरचना । नाना सृष्टि की रचना । कैसी सो सुनें ॥१६॥
चंद्र- सूर्य- तारामंडल । ग्रहमंडल मेघमंडल । इक्कीस स्वर्ग सप्त पाताल । कैसी सो सुनें ॥१७॥
ब्रह्माविष्णुमहेश स्थान । इंद्रदेवऋषिस्थान । वायुवरुणकुबेरस्थान । कैसे सो सुनें ॥१८॥
नव खंड चौदह भुवन । अष्ट दिग्पालों के स्थान । नाना वन उपवन गहन । कैसे सो सुनें ॥१९॥
गणगंधर्व विद्याधर । यक्ष किन्नर नारद तुंबर । अष्ट नायक संगीत विचार । कैसे सो सुनें ॥२०॥
रागज्ञान तालज्ञान । नृत्यज्ञान वाद्यज्ञान । अमृतबेला प्रसंगज्ञान । कैसे सो सुनें ॥२१॥
चौदह विद्या चौंसठ कला । सामुद्रिक लक्षण सकल कला । बत्तीस लक्षण नाना कला । कैसी सो सुनें ॥२२॥
मंत्र मोहर टोटका सिद्धि । नाना वल्ली नाना औषधि । धातु रसायन बुद्धि । नाडीज्ञान सुनें ॥२३॥
किस दोष से कौन सा रोग । किस रोग पर कौन प्रयोग । किस प्रयोग से कौन सा योग । साधे सो सुनें ॥२४॥
रवरव आदि कुंभिपाक । नाना यातना यमलोक । सुखदुःख आदि स्वर्गनर्क । कैसे सो सुनें ॥२५॥
कैसी नवविधा भक्ति । कैसी चतुर्विधा मुक्ति । कैसे पाये उत्तम गति । यह सुनें ॥२६॥
पिंड ब्रह्मांड की रचना । नाना तत्त्वविवंचना । सारासार विचारणा । कैसी सो सुनें ॥२७॥
मिलती सायुज्यमुक्ति कैसे । मोक्ष प्राप्त होता कैसे । इस कारण नाना मत ऐसे । खोजते जायें ॥२८॥
वेद शास्त्र और पुराण । महावाक्यों के विवरण । तनुचतुष्ट्यनिरसन । कैसे सो सुनें ॥२९॥
ऐसा यह सारा ही सुनें । परंतु सार खोजकर ग्रहण करें। असार जानकर त्यागें । इसका नाम श्रवणभक्ति ॥३०॥
 सगुणों के चरित्र सुने । अथवा वे निर्गुण अध्यात्म में शोध करें । श्रवणभक्ति के जानिये । लक्षण ऐसे ॥३१॥
सगुण देव का चरित्र । अथवा निर्गुण के तत्त्व यंत्र । ये दोनो परम पवित्र । सुनते जायें ॥३२॥
जयंतियां उपोषण पूजाविधान । मंत्र तंत्र जप ध्यान । कीर्ति स्तुति स्तवन भजन । नाना विधियों से सुनें ॥३३॥
ऐसा श्रवण सगुण का । अध्यात्मनिरूपण निर्गुण का । विभक्ति त्यागकर भक्ति का । मूल खोजें ॥३४॥
श्रवणभक्ति का निरूपण । किया निरूपित ऐसे जान । आगे कीर्तनभजन के लक्षण । कथन किये ॥३५॥
इति श्रीदासबोधे गुरुशिष्यसंवादे श्रवणभक्तिनिरूपणनाम समास पहला ॥१॥

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Last Updated : November 30, 2023

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