हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्यकर्म-विधि:| अन्नपूर्णास्तोत्रम् नित्यकर्म-विधि: कर दर्शन प्रात:स्मरण वेदोक्त प्रातःस्मरण सूक्त स्नान की विधि सन्ध्योपासन विधि: तर्पण विधि: सूर्योपस्थान समर्पण नित्य होम विधि: बलिवैश्वदेव विधि: ब्रह्मयज्ञ विधि: संक्षिप्त भोजन विधि: शिवपूजनविधि: विष्णु पूजन विधि: राम पूजनविधि: हनुमत्पूजनविधि: दुर्गापूजनविधि: श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्रम् शिवमहिम्न: स्तोत्रम् आदित्यहृदयस्तोत्रम् रामरक्षास्तोत्रम् महामृत्युञ्जयस्तोत्रम् अन्नपूर्णास्तोत्रम् चाक्षुषोपनिषद् सप्तश्लोकी दुर्गा सप्तश्लोकी गीता चतु:श्लोकीभागवतम् विधीः - अन्नपूर्णास्तोत्रम् जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है । Tags : karmapoojavidhiकर्मपूजाविधीहिन्दी अन्नपूर्णास्तोत्रम् Translation - भाषांतर अथ अन्नपूर्णास्तोत्रम्नित्यानन्दकरी पराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी निर्धूताखिलघोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी ।प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥१॥नानारत्नविचित्रभूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी मुक्ताहारविलम्बमानविलसद्वक्षोजकुम्भान्तरी ।काश्मीरागुरुवासिता रुचिकरी काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥२॥योगानन्दकरी रिपुक्षयकरो धर्मार्थानिष्ठाकरी चन्द्रार्कानलभासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी ।सर्वैश्वर्यसमस्तवाञ्छितकरी काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥३॥कैलासाचलकन्दरालयकरी गौरी उमा शङ्करी कौमारी निगमार्थगोचरकरी ओङ्कारबीजाक्षरी ।मोक्षद्वारकपाटपाटनकरी काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥४॥द्दश्याद्दश्यप्रभूतवाहनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरी लीलानाटकसूत्रभेदनकरी विज्ञानदीपाङ्कुरी ।श्रीविश्वेशमन:प्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥५॥उर्वी सर्वजनेश्वरी भगवती मातान्नपूर्णेश्वरी वेणीनीलसमानकुन्तलहरी नित्यान्नदानेश्वरी ।सर्वानन्दकरी दशाशुभकरी काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥६॥आदिक्षान्तिसमस्तवर्णनकरी शम्भोस्त्रिभावाकरी काश्मीरा त्रिजलेश्वरी त्रिलहरी नित्याङ्कुरा शर्वरी ।कामाकाङक्षकरी जनोदयकरी काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥७॥देवीसर्वविचित्ररत्नरचिता दाक्षायणी सुन्दरी वामा स्वादुपयोधरप्रियकरी सौभाग्यमाहेश्वरी ।भक्ताभीष्टकरी दशाशुभकरी काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥८॥चन्द्रार्कानलकोटिकोटिसद्दशा चन्द्रांशुविम्बाधरी ।मालापुस्तकपाशसाङ्कुशधरी काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥९॥क्षत्रत्राणकरी महाऽभयकरी माता कृपासागरी साक्षान्मोक्षकरी सदा शिवकरी विश्वेश्वरी श्रीधरी ।रक्षाक्रन्दकरी निरामयकरी काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥१०॥अन्नपूर्णे सदा पूर्णे शङ्करप्राणवल्लभे ।ज्ञानवैराग्यसिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वती ॥११॥माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वर: ।बान्धवा: शिवभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम् ॥१२॥इति शङ्गराचार्यविरचितं अन्नपूर्णास्तोत्रं समाप्तम् । N/A References : N/A Last Updated : May 24, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP