हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्यकर्म-विधि:| समर्पण नित्यकर्म-विधि: कर दर्शन प्रात:स्मरण वेदोक्त प्रातःस्मरण सूक्त स्नान की विधि सन्ध्योपासन विधि: तर्पण विधि: सूर्योपस्थान समर्पण नित्य होम विधि: बलिवैश्वदेव विधि: ब्रह्मयज्ञ विधि: संक्षिप्त भोजन विधि: शिवपूजनविधि: विष्णु पूजन विधि: राम पूजनविधि: हनुमत्पूजनविधि: दुर्गापूजनविधि: श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्रम् शिवमहिम्न: स्तोत्रम् आदित्यहृदयस्तोत्रम् रामरक्षास्तोत्रम् महामृत्युञ्जयस्तोत्रम् अन्नपूर्णास्तोत्रम् चाक्षुषोपनिषद् सप्तश्लोकी दुर्गा सप्तश्लोकी गीता चतु:श्लोकीभागवतम् विधीः - समर्पण जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है । Tags : karmapoojavidhiकर्मपूजाविधीहिन्दी समर्पण Translation - भाषांतर मुखमार्जनफिर नीचे लिखे मन्त्र को पढकर शुद्ध जल से मुँह धो डाले ----ॐ संवर्चसा पयसा सन्तनूभिरगन्महि मनसा स, शिवेन ।त्वष्टा सुदत्रो व्विदधातु रायोऽनुमार्ष्टु तन्वो यद्विलिष्टम् ॥‘हम ब्रह्मतेज से, क्षीर आदि रस से, कर्म करने में समर्थ सुद्दढ अङ्गों से और शान्त मन से संयुक्त हों । सम्यक् प्रकार से दान करनेवाले त्वष्टा देवता हमें धन दें और हमारे शरीर में जो शक्ति आदि की न्यूनता आ गयी है उसका मार्जन करें अर्थात् हमारे धन और शरीर की पुष्टि करें ।’विसर्जननिम्नाङ्कित मन्त्र पढकर देवताओं का विसर्जन करे---ॐ देवा गातुविदो गातुं वित्त्वा गातुमित ।मनसस्पत ऽइमं देव यज्ञ, स्वाहा व्वाते धा: ॥‘हे यज्ञवेत्ता देवताओं । आप लोग हमारे इस तपणरूपी यज्ञ को समाप्त जानकर अपने गन्तव्यमार्ग को पधारें । हे चित्त के प्रवर्तक परमेश्वर ! मैं इस यज्ञ को आप के हाथ में अर्पण करता हूँ । आप इसे वायु-देवता में स्थापित करें ।’समर्पणनिम्नाङ्कित वाक्य पढकर यह तर्पण-कर्म भगवान् को समपित करे---अनेन यथाशक्तिकृतेन देवर्षिमनुष्यपितृतर्पणाख्येन कर्मणा भगवान् मम समस्तपितृस्वरूपी जनार्दनवासुदेव: प्रीयतां न मम ।ॐ विष्णवे नम: । ॐ विष्णवे नम: । ॐ विष्णवे नम: ॥॥इति॥ N/A References : N/A Last Updated : May 24, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP