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सुनामा
Meanings: 15; in Dictionaries: 5
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سوٗناما
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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ସୁନାମା
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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সুনামা
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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સુનામા
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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सुनामन्
Meanings: 15; in Dictionaries: 5
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سُناما
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
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renowned
Meanings: 5; in Dictionaries: 5
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famed
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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famous
Meanings: 5; in Dictionaries: 3
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far-famed
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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celebrated
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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noted
Meanings: 4; in Dictionaries: 3
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illustrious
Meanings: 8; in Dictionaries: 4
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notable
Meanings: 5; in Dictionaries: 5
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मयमतम् - अथ पञ्चमोऽध्यायः
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
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षोडशकाण्डः - ७६ ते ८०
पैप्पलादसंहिता
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हरिवंश पर्व - सप्तत्रिंशोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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स्वर्गखण्डः - अध्यायः ९
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः १५
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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अध्याय २७५ - यदुवंशवर्णनम्
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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उग्रसेन
Meanings: 29; in Dictionaries: 7
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः ४४
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः १९३
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः १६१
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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अध्याय ३ रा - श्लोक २९ ते ३१
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः २२७
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वारकामाहात्म्यम् - अध्याय २०
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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उत्तरार्धम् - अध्यायः ३४
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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अनुषङ्गापादः - अध्यायः ३५
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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अथर्ववेदः - काण्डं ८
अथर्ववेदात देवतांची स्तुति तसेच जादू, चमत्कार, चिकित्सा, विज्ञान आणि दर्शनाचे मन्त्र सुद्धा आहेत.
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मध्यम भागः - अध्यायः ७१
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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सृष्टिखण्डः - अध्यायः १३
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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