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वर्णभेद
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ವರ್ಣಭೇದ
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वर्णभेदः
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ವರ್ಣಭೇದ ನೀತಿ
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रंगभेद
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জাতিভেদ
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ਨਸਲਵਾਦ
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ଜାତିବାଦ
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નસ્લવાદ
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वंशवाद
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वंशवादः
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नस्लवाद
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ವರ್ಣ ಭೇದ
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ಜನಾಂಗಭೇದ ನೀತಿ
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वर्णविद्वेश
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जाणणें
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रक्तवहस्त्रोतस् - व्यंग
धर्म, अर्थ, काम आणि मोक्ष या चतुर्विध पुरूषार्थांच्या प्राप्तीकरितां आरोग्य हे अत्यंत आवश्यक असते.
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गुणकर्मपध्दतीवर अनवस्था प्रसंग व त्यास उत्तर
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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दोन्ही पध्दतींचा विरोध, दुसर्या पध्दतीतील गोष्टी
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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द्वादश पटल - आज्ञाचक्रकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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हरिहर ऐक्य
संत एकनाथांनी सामान्यजनांना तसेच भक्तजनांना परमार्थाच्या सहजसुलभ वाटा दाखवून मार्गदर्शन केले आहे.
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चातुर्वर्ण्याची स्थापना
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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उच्छिष्ट गणेश - महत्व
विश्वातील सर्व कारणांचे कारण असणारा असा सर्वात्मा, वेदांनी ज्याची महती गायली आहे, सर्वप्रथम पूजनीय असणार्या अशा गणेशाला मी वंदन करितो.
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आश्विन शु. प्रतिपदा
Ashvina shudha Pratipada
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स्फुट अभंग - ५७५ ते ५८६
संत बहेणाबाईचे अभंग
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बीसवाँ पटल - सिद्धमंत्रस्वरूपकथन
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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कथा कल्पतरू - स्तबक १३ - अध्याय ११
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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श्री गणेश प्रताप - क्रीडाखंड अध्याय १९
सर्व कीर्तीने युक्त, सर्व देवाधिदेवांमध्ये श्रेष्ठ अशा अत्यंत प्रिय असलेल्या श्रीगजाननाच्या स्तुतीपर हा ग्रंथ आहे.
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श्री दत्तप्रबोध - अध्याय एकविसावा
श्री अनंतसुत विठ्ठल उर्फ कावडीबाबा विरचित ’श्री दत्तप्रबोध’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने ’गुरुचरित्र’ पारायणाचे पुण्य मिळते.
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श्री दत्तप्रबोध - अध्याय पंचवीसावा
श्री अनंतसुत विठ्ठल उर्फ कावडीबाबा विरचित ’श्री दत्तप्रबोध’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने ’गुरुचरित्र’ पारायणाचे पुण्य मिळते.
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श्रीसिध्दान्तबोध - अध्याय २३ वा
‘श्रीसिध्दान्तबोध’ हा संतकवि श्रीशहामुनि यांचा ग्रंथ म्हणजे मराठी साहित्याच्या खाणींतील एक तेजस्वी हिरा आहे.
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श्री गोरक्षनाथजी
दत्त संप्रदायाचे प्रवर्तक श्रीचक्रधर यांची परंपरा दत्तात्रेय-चांगदेव राऊळ-गुंडम राऊळ-चक्रधर अशी आहे.
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पंढरी महात्म्य
संत एकनाथांनी सामान्यजनांना तसेच भक्तजनांना परमार्थाच्या सहजसुलभ वाटा दाखवून मार्गदर्शन केले आहे.
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