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कर्दमिनी
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विगर्ह
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यवासिनी
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विगर्हिणी
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शिरीषिणी
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हिरण्यिनी
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तमालिनी
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कपित्थिनी
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नडिनी
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पुष्कलावती
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पुष्कलावर्तक
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राजीविनी
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नालीकिनी
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पुटकिनी
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तरंगिणी
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अब्जिनी
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कल्लोलिनी
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प्रवाहिन्
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अरविन्दिनी
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शालूकिनी
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तटिनी
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कुमुदिनी
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कैरव
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अंक दुसरा - प्रवेश तिसरा
डॉ . पद्माकर विष्णु वर्तक यांनी प्रस्तुत संगीत नाटकात नल दमयंतीची उत्कट प्रेमकथा अतिशय छान फुलवली आहे
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अंक पहिला - प्रवेश पहिला
डॉ . पद्माकर विष्णु वर्तक यांनी प्रस्तुत संगीत नाटकात नल दमयंतीची उत्कट प्रेमकथा अतिशय छान फुलवली आहे
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स्वर्गखण्डः - अध्यायः २५
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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अंक पहिला - प्रवेश चवथा
डॉ . पद्माकर विष्णु वर्तक यांनी प्रस्तुत संगीत नाटकात नल दमयंतीची उत्कट प्रेमकथा अतिशय छान फुलवली आहे
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः १२५
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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पंढरीमाहात्म्य - अभंग १
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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श्री दत्तस्तुति - यतीरूप दत्तात्रया दंडधारी...
श्री दत्तस्तुति
दत्तात्रेय पूर्ण अवतार असून, ब्रम्हा, विष्णू आणि महेश यांचे एकत्रीत रूप आहे. Dattatrya is considered by some Hindus, to be god who is an incarnation of the Divine Trinity Brahma, Vishnu and Mahesh.
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उत्तरार्ध - अध्याय ५३ वा
हरिवंशांतल्या आर्यारचना आर्याभारताच्याच तोलाच्या आहेत.
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ललितासहस्रनामस्तोत्रम् - ध्यानश्लोकाः सिन्दूरारुण...
ललितासहस्रनामस्तोत्रम्
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ब्रह्मपुराणम् - अध्यायः २०
ब्रह्मपुराणास आदिपुराण म्हणतात. यात सृष्टीची उत्पती, पृथुचे पावन चरित्र, सूर्य आणि चन्द्रवंशाचे वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि चरित्र, तीर्थांचे माहात्म्य अशा अनेक भक्तिपुरक आख्यानांची सुन्दर चर्चा केलेली आहे.
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ललितासहस्रनामस्तोत्रम् - ध्यानश्लोकाः सिन्दूरारुण...
हिंदू देवदेवतांची सहस्त्र नावे, स्तोत्र रूपात गुंफलेली आहेत. Sahastranaamastotra is a perticular stotra in which, the 1000 names of hindu Gods are introdused.
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अथ चर्यापादः - मण्डलविधिपटलः
सुप्रभेदागमः म्हणजे शिल्पशास्त्र ह्या विषयावरील महत्वपूर्ण ग्रंथ.
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पूर्वार्धम् - अध्यायः ५१
वायुपुराणात खगोल, भूगोल, सृष्टिक्रम, युग, तीर्थ, पितर, श्राद्ध, राजवंश, ऋषिवंश, वेद शाखा, संगीत शास्त्र, शिवभक्ति, इत्यादिचे सविस्तर निरूपण आहे.
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अनुषङ्गापादः - अध्यायः २२
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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चर्यापदः - मण्डलविधिपटलः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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श्रीवामनपुराण - अध्याय २२
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
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खण्डः २ - अध्यायः १६८
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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वामनपुराण - अध्याय २२ वा
भगवान विष्णु ह्यांचा वामन अवतार हा पाचवा तसेच त्रेता युगातील पहिला अवतार होय.
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ३०
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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अंक पहिला - प्रवेश तिसरा
डॉ . पद्माकर विष्णु वर्तक यांनी प्रस्तुत संगीत नाटकात नल दमयंतीची उत्कट प्रेमकथा अतिशय छान फुलवली आहे
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महासिद्धिसहस्रनामस्तोत्रम्
विश्वातील सर्व कारणांचे कारण असणारा असा सर्वात्मा, वेदांनी ज्याची महती गायली आहे, सर्वप्रथम पूजनीय असणार्या अशा गणेशाला मी वंदन करितो.
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पुष्कर
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श्रीसिध्दान्तबोध - अध्याय ५ वा
‘श्रीसिध्दान्तबोध’ हा संतकवि श्रीशहामुनि यांचा ग्रंथ म्हणजे मराठी वाड्मयाच्या खाणींतील एक तेजस्वी हिरा आहे.
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खंड ६ - अध्याय २५
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
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कथाकल्पतरू - स्तबक १ - अध्याय ९
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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पांडवप्रताप - अध्याय १५ वा
पांडवप्रताप ग्रंथवाचन म्हणजे चंचल मनाला भक्तियोगाकडे वळविण्याचा प्रवास.
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कथाकल्पतरू - स्तबक १ - अध्याय १०
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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