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मित्रविंदा
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متربِندا
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মিত্রবিন্দা
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ମିତ୍ରବିନ୍ଦା
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મિત્રવિંદા
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मित्रविन्दा
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मित्रबिंदा
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मित्रबिन्दा
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மித்ரிவிந்தா
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ਮਿਤਰਵਿੰਦਾ
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മിത്രവിംദ
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مِتر وِندا
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مِترٛوِندا
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महाश
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अष्टनायका
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उन्नाद
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क्षुधि
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अन्नाद
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मित्रविंद
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विंद
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अनुविंद
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आचारकाण्डः - अध्यायः २८
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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अध्याय ६१ वा - श्लोक १६ ते २०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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शैब्या
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वर्धन
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गृध्र
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दशम स्कंधाचा ( उत्तरार्ध ) सारांश
दशमस्कंध उत्तरार्धात अध्याय ४१, मूळ श्लोक १९३३, त्यांवरील अभंग ४६०
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पावन
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अध्याय ५८ वा - श्लोक ३१ ते ३५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अनिल
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स्कंध १० वा - अध्याय ८३ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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अध्याय ५८ वा - श्लोक ५६ ते ५८
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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वृक
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अध्याय ५८ वा - श्लोक २६ ते ३०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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हरिविजय - अध्याय २६
श्रीधरांसारखा भगवंताच्या भक्तिप्रेमात न्हाऊन गेलेला अजोड कवी, गोपालकृष्णाच्या अति गोड लीलांचे वर्णन करतो, तेव्हा काय बहार येते.
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स्कंध १० वा - अध्याय ५८ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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स्कंध ५ वा - अध्याय २० वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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उत्तरखण्डः - अध्यायः २४९
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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हरिविजय - अध्याय ३०
श्रीधरांसारखा भगवंताच्या भक्तिप्रेमात न्हाऊन गेलेला अजोड कवी, गोपालकृष्णाच्या अति गोड लीलांचे वर्णन करतो, तेव्हा काय बहार येते.
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उत्तरार्ध - अध्याय ३८ वा
हरिवंशांतल्या आर्यारचना आर्याभारताच्याच तोलाच्या आहेत.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ६ - अध्याय ३
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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संकेत कोश - संख्या ८
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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अध्याय २८
संतकवी महीपतीबोवा ताहराबादकर विरचित
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प्रायश्चित्तमयूख - प्रायश्चित्त ४१ वे
विधिविहित नित्यकर्म (संध्यादि) न केल्यामुळे, पाप केल्याने व सुरा इत्यादि निषिद्ध पदार्थांचे सेवन केल्यानें त्याच्या शुद्धिसाठी जें कर्म सांगण्यात येतें तें प्रायश्चित्त होय.
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हरिविजय - अध्याय ३५
श्रीधरांसारखा भगवंताच्या भक्तिप्रेमात न्हाऊन गेलेला अजोड कवी, गोपालकृष्णाच्या अति गोड लीलांचे वर्णन करतो, तेव्हा काय बहार येते.
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श्रीकृष्ण कथामृत - तेरावा सर्ग
संतकवि श्रीगणुदास यांनी रचलेले श्रीकृष्ण - कथामृत अमृताची गोडी देते.
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श्री नारदीयमहापुराणम् - नामाशीतितमोऽध्यायः
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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अध्याय ५९ वा - श्लोक ४१ ते ४६
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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हरिविजय - अध्याय २९
श्रीधरांसारखा भगवंताच्या भक्तिप्रेमात न्हाऊन गेलेला अजोड कवी, गोपालकृष्णाच्या अति गोड लीलांचे वर्णन करतो, तेव्हा काय बहार येते.
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सृष्टिखण्डः - अध्यायः १३
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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