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अपरिग्रह
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ਅਸਵੀਕ੍ਰਿਤ
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गावखौ नागारसारनाय
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அபரிகிரஹ்
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അപരിഗ്രഹ
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অপৰিগ্ৰহ
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અપરિગ્રહ
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अपरिग्रह वृत्ति
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অপরিগ্রহ
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ଅପରିଗ୍ରହ
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துறவு
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ਅਪਰਗ੍ਰਹਿ
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ദാരിദ്ര്യം
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ಅಪರಿಗ್ರಹ ವೃತ್ತಿ
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अपरिग्रहवृत्ती
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ترک
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தானம் அல்லது பிச்சை வாங்காது இருத்தல்
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ਅਸਵਿਕ੍ਰਿਤੀ
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અપરિગ્રહણ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ഒന്നും സ്വീകരിക്കാത്ത വ്രതം
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दान नेवसिनाय
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خٲرات ٹُھکراوُن
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योगधर्म
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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एकनाथी भागवत - आरंभ
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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९६
Meanings: 4; in Dictionaries: 3
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संकेत कोश - संख्या ९६
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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महावीर वर्धमान
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः १११
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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सौरपुराणं - अध्यायः १२
सौरपुराणं व्यासकृतम् ।
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अध्याय २० वा - श्लोक २१ ते २५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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दीपप्रकाश - विंशतितम किरणः
Shri Madhavnath Maharaj (1857–1936) was a Hindu saint, of Karvi, Chitrakoot, Madhya Pradesh, who continued the Nath Sampradaya of the famous Navnaths in India.
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प्रथम पाद - विष्णुके भजनका उपदेश
` नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द- शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५४८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः २२०
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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संकेत कोश - संख्या ५
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः २४१
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३९६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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संकेत कोश - संख्या ५
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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प्रथम पाद - निरूपण
` नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द- शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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कूर्मपुराणः - एकादशोऽध्यायः
पुराण म्हणजे भारतीय संस्कृतीचा अमूल्य ठेवा आहे. महापुराणांच्या क्रमवारीत कूर्मपुराण पंधराव्या स्थानावर आहे.
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ग्रामगीता - अध्याय दुसरा
जनसेवा हीच ईशसेवा मानणारे तुकडोजी महाराज हे समाजसुधारक संत होते .
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श्रीविष्णुपुराण - द्वितीय अंश - अध्याय ४
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
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भगवान गोपालकृष्ण - अध्याय १३ वा
प्राचीन कवी केशवदत्त यांनी ’ गोपाल कृष्ण ’ हे उत्तम काव्य रचले आहे.
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प्रारंभिकावस्था - आरंभ
भगवान शिव ने लंकापती रावण को जो तंत्रज्ञान दिया , उसमेंसे ये साधनाएं शीघ्र सिद्धि प्रदान करने वाली है ।
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ग्रामगीता - अध्याय सातवा
जनसेवा हीच ईशसेवा मानणारे तुकडोजी महाराज हे समाजसुधारक संत होते.
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श्री नारदीयमहापुराणम् - त्रयस्त्रिंशोऽध्यायः
नारदपुराणात शिक्षण, कल्प, व्याकरण, छन्द शास्त्राचे आणि परमेश्वराच्या उपासनेचे विस्तृत वर्णन आहे.
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यम
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साईसच्चरित - अध्याय १० वा
श्रीसाईसच्चरित या ग्रंथांत श्रीसाईबाबांच्या अद्भुत लीलांचा व उपदेशांचा संग्रह आहे.
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दीपप्रकाश - षष्टम किरण
Shri Madhavnath Maharaj (1857–1936) was a Hindu saint, of Karvi, Chitrakoot, Madhya Pradesh, who continued the Nath Sampradaya of the famous Navnaths in India.
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दीपप्रकाश - दशम किरण
Shri Madhavnath Maharaj (1857–1936) was a Hindu saint, of Karvi, Chitrakoot, Madhya Pradesh, who continued the Nath Sampradaya of the famous Navnaths in India.
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