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R

Ramayana Part 2

Ramayana Part 1  
Variations : R.ii

अनुरथ्या   अपदान   अपरिक्रम   अपस्नात   अपानृत   अभिकाल   अभिकुत्स्   अभित्यज्   अभिनिर्भर्त्स्   अभियातृ   अभिलक्षित   अभिलक्ष्यम्   अभिशंस्   अभिसमापद्   अभिसान्त्व्   अभ्यवधा   अमनुष्य   अमराधिप   अम्बुरय   अयोध्याकण्ड   अरिष्ट   अरोग्यता   अर्क   अर्थकाम   अर्थविपत्ति   अलंकार   अलक्तरस   अलीक   अवगर्हित   अवघ्रात   अवदारण   अवधूपित   अवपतित   अवमज्ज्   अवरुध्   अवरुह्   अवरोह   अवश्यकार्य   अवसन्न   अवसानिक   अवसुप्त   अवितथक्रिय   अवितर्कित   अविदूरम्   अविषह्य   अशङ्कया   अश्वपति   असंकल्पित   असंयत   असद्ग्राहिन्   असमृद्ध   अस्थिर   अस्वर   अस्वाधीन   अहम्पूर्व   आकुर्वती   आकृ   आक्रुश्   आगत   आगति   आच्छिद्य   आञ्जनी   आतम्   आत्मकाम   आत्मकृत   आत्मन्   आत्मभव   आर्ततर   आर्तता   आवास्   इदम्   उज्जिहाना   उद्बन्धन   उपजल्पित   उपवञ्चित   उपविश्   उपासीन   एकशाला   ऐन्द्रशिर   ऐरावत   ऐलधान   और्ध्वदेह   कठकलाप   कपालशिरस्   कषाय   काकुत्स्थ   काकुत्स्थौ   काङ्क्षित   काङ्क्षिता   काज   काण्ड   कात्यायन   कापथ   कामात्मता   काम्य   कारणकारितम्   कालसमन्वित   कालिका   किंचित्क्षणान्तर   किम्पाक   कुञ्जरग्रह   कुटिका   कुटिकोष्टिका   कुतोनिमित्त   कुलघ्न   कुलपूर्वक   कुलिङ्गा   कुशचीर   कुशल   कुष्ठ   कुह   कूज   कूपकार   कृ   कृकवाकु   कृच्छ्र   कृतकल्प   कृतक्षण   कृताङ्क   कृष्ण   कृष्णपिङ्गल   कृष्णवासस्   कॢप्   केकय   केकयी   केवलम्   कैवर्तक   कोट्य   कोण   कोयष्टिभ   कोरक   कोशगृह   कौक्कुट   कौमारराज्य   क्रम   क्राकचिक   क्रीडोद्देश   क्रोधनीय   क्षतवृत्ति   क्षत्रभृत्   क्षम   क्षात्र   क्षिप्   क्षुद्रकर्मन्   क्षुप   क्षेपक   क्षेम   क्षोद   क्षोद्य   खग   खड्गधारा   खण्डकार   खन्   खादन   खेलम्   गज   गजकन्या   गजनासा   गतचेतन   गतस्पृह   गतान्त   गद्गदशब्द   गन्धिन्   गन्धोपजीविन्   गय   गर्धिन्   गर्व   गर्वय   गार्हस्थ्य   गिरिधातु   गिरिनिम्नगा   गिरिप्रस्थ   गुणवत्ता   गुणवर्तिन्   गुणसागर   गुणाङ्ग   गुण्ठित   गुरुतर   गुरुता   गुर्वर्थम्   गृध्निन्   गृध्नु   गो   गोकर्ण   गोत्रवत्   गोप   गोपाल   गोमय   गोयुत   गोरक्ष   गोलोक   गोव्रज   ग्रह   ग्रह्   ग्राम   ग्राह   घर्म   घर्ष   घृणाचक्षुस्   घ्राणतर्पण   चण्ड   चतुःशततम   चतुःशाल   चतुरङ्ग   चतुरन्त   चतुर्दश   चतुष्कृष्ण   चर्   चापधर   चित्तनाश   चित्तमोह   चित्ररथ   चिन्तामय   चिरजीविन्   चिररात्राय   चीरवसन   चेटी   चेतयान   चेद्   च्यु   च्युत   छदन   छन्दानुवर्तिन्   छन्देन   छन्न   छलित   छायावत्   छिन्न   छेद   जगती   जगतीभर्तृ   जघन्य   जटाभार   जठर   जन   जनपदाधिप   जनेन्द्र   जम्बुप्रस्थ   जरित   जलज   जलप्रपात   जलात्यय   जल्प   जागर्तव्य   जागृ   जात्य   जाल   जिहीर्षु   जिह्मता   जीवसू   जीवितक्षय   जीवितान्त   जृम्भ   ज्ञातिदासी   ज्ञानपूर्वकृत   ज्ञानवृद्ध   ज्योतीरस   टङ्क   तत्रभवत्   तत्रस्थ   तथागुण   तथाप्रभाव   तदन्न   तनुत्याग   तनुत्राण   तन्द्रि   तन्निमित्त   तपस्विन्   तमस्   तमालक   तम्   तरंगिन्   तरणीय   तर्ष   तर्षित   तल   तलाङ्गुलित्रवत्   ताम्र   ताम्रमृष्टानुलेपिन्   तारक   तालापचर   तावत्   तिक्तक   तिमित   तिमिध्वज   तिमिश   तिरस्करणि   तिरस्कृत   तिर्यक्स्रोतस्   तिलोदन   तीक्ष्ण   तीरज   तीररुह   तीर्णप्रतिज्ञ   तूणि   तेन   तैत्तिरीय   तैलद्रोणी   तोदित   तोयदात्यय   तोयधर   तोयराशि   त्यज्   त्रिजट   त्रिदशेश्वर   त्वद्विध   त्वष्टृ   दंष्ट्रायुध   दक्षिणम्   दक्षिणा   दण्डकावन   दण्डमाणव   दन्तकार   दन्तधावन   दयावत्   दर   दर्पण   दर्भसंस्तर   दर्शिन्   दा   दानवारि   दार्दुर   दिग्ध   दिग्धहत   दिष्ट   दीर्घबाहु   दीर्ण   दुःसंस्थित   दुःसत्त्ववत्   दुरन्वय   दुरारक्ष   दुरारक्ष्य   दुरावार   दुर्ग्राह्यहृदय   दुर्जीव   दुर्मनस्   दुश्छद   दूरपात्र   दूरपार   दूषण   दूषय   दृश्   दृष्टान्त   देवमातृक   दोषतोब्रू   द्यूतवैतंसिक   द्रष्टृ   द्रुह्   धर्मज्ञतम   निःसङ्गम्   निःसङ्गेन   निदर्शन   निष्पीड   पञ्चवर्ग   पति   पांसिन्   राहुशत्रु   लक्षणिन्   वाहन   विधा   विनिर्युज्   विस्मृत   शुभमङ्गल   श्वासित   
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