Dictionaries | References

कपटी मित्राचें मन, अधिक दुष्‍ट सर्पाहून

   
Script: Devanagari

कपटी मित्राचें मन, अधिक दुष्‍ट सर्पाहून

   कपटी मित्राचे मन हे सर्पापेक्षांहि घातक आहे.

Related Words

कपटी मित्राचें मन, अधिक दुष्‍ट सर्पाहून   कपटी डावपेच   कपटी युक्ती   अधिक-दिन   कपटी   मन   मन मारप   मन मारना   मन मारणे   अधिक   कपटी चाल   कपटी डाव   അധിക സമയ   अधिक से अधिक   अधिक-तिथि   अधिक जीना   अधिक कोण   करमणे   outlive   अधिक जिवंत राहणें अधिक तमाशे पाहणें   अधिकांत अधिक लोकांचें अधिकांत अधिक हित   अधिक दिन जीना   अधिक समय जीना   दातृत्वापेक्षां दया अधिक   चाकराहून धनी अधिक सूचक   मन राजा, मन प्रजा   कांकणभर अधिक जास्त   धनिकाहून अधिक मान्य, विद्वज्जन   कुंकू अधिक होणें   और   धर्मसावर्णि मन   मन मनाविणें   फुडे उपासु, तांतुईं अधिक मासु   मन गडबडणें   मन मुंडणें   मन घालणे   मन घालणें   मन जाणें   मन देणें   मन लावणें   द्रव्यापेक्षां मनीं, सत्य अधिक मानी   मन बसणें   मन लागणें   शुद्ध मन   मन कांपणें   मन-काळीज   मन तुटणें   मन नपर्दो   मन विटणें   मन धरणें   मन लगना   मन उठणें   मन उडणें   मन मोडणें   मन भरना   bulk   ആലോചിക്കുക   ಇಷ್ಟವಾಗು   अधिक लोभातें धरितो वारंवार हारीस येतो   धनाढयाची द्रव्यसंख्या, त्याहून अधिक त्याची आख्या   शब्दांपेक्षां कृतीचा परिणाम लोकांवर शतपटीनें अधिक होतो   आग पाणी अवश्यक, नाही मित्राहून अधिक   आवैचे मन कांतली, भुर्ग्याचे मन करटी   उद्योगानें मन स्वच्छ राहते, आळसानें मन खातें   मांजरापेक्षां माणसेंच या जगांत अधिक आडवीं येतात   दैव हें देवापेक्षांहि एका मात्रेनें अधिक   रत्नमालेपेक्षां फुलांचीच माळ अधिक जड होते   मन पळोन धन   अधिक उणें ताणूं नये ताणल्यानें पडतें फाटफाट   मन राजा, मन परजा, मनाले कोण वरजा   अधिक भक्ति विशेष फलश्रुति   संशयि मन सावळेक भित्ता   संशयी मन सावळेक भित्ता   अंदाधुंद मन हरा गाय   खालीवर मन होणें   मन दुग्ध्यांत पडणें   रिकामें मन सैतानाचं धन   रिकामें मन सैतानाचं सदन   اور   ఇంకొకటైన   വേറെ   ಇನ್ನಷ್ಟು   मन मानेल तो सौदा   मन मिलेसो मेला, चित्त मिलेसो चेला, नहीं तो अकेला भला   नापसंद   deceiver   तुझें मन माझे साक्षीशी आणि माझें मन तुझे परीक्षेशी   जास्त जगणे   पोपट जों जों अधिक बोलतो तों तों पिंजर्‍यांत पडतो   देव मन पाळौन धन दिता   दिलो-दिमाग़   دِلو دٮ۪ماغ   ಮನಸ್ಸು-ಬುದ್ಧಿ   psyche   जों जों राघू बोले तों तों अधिक पिंजर्‍यांत पडे   राघू जितका जितका बोलतो तितका तितका तो अधिक पिंजर्‍यांत पडतो   अंग उदकान नितळ, मन सतान   आंग उदकान नितळ, मन सतान   रिकामें मन आणि कुविचाराची धन   ज्‍याचें मन त्‍याला ग्‍वाही देतें   
Folder  Page  Word/Phrase  Person

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP