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शेफसव्रणहरव्रत

रोग हनन व्रत - शेफसव्रणहरव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


शेफसव्रणहरव्रत

( सूर्यारुण १९२० ) - म्लेच्छ - स्त्रियोंमें अभिगमन करनेसे इन्द्रियके अग्रभागपर शूकोत्थ ( इन्द्रियको दीर्घ करनेवाला दुष्टव्रण ) होता है । इसके होनेसे शुक्र, मूत्र और पुरीषादिके त्यागमें बड़ी असुविधा होती है । भरतने लिखा है कि रेतुसस्त्रावके समय शेफससञ्चित जलस्त्राव हो जाता है । इस अनिष्टकर व्रणको दूर करनेके लिये शुक्लपक्षकी द्वादशीको सूर्योदयसे पहले किसी स्वच्छ जलवाले जलाशयपर जाकर प्रातःस्त्रानादि करनेके अनन्तर हाथमें जल, फल और गन्धाक्षत लेकर

' मम तिलजीतिप्रसिद्धशूकोत्थशेफसव्रणनिरसनपूर्वकं मेढरगतसर्वरोगप्रशान्तये च श्रीवरुणदेवमहं पूजयिष्ये ।'

इस प्रकार संकल्प करके वरुणका यथाविधि पूजन करे और यजुवेंदके विद्वान् ब्राह्मणको गौ देकर फलाहारपूर्वक व्रत करे ।

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Last Updated : January 16, 2012

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