हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|यारी साहब|
गयो सो गयो बहुरि नहिं...

भजन - गयो सो गयो बहुरि नहिं...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


गयो सो गयो बहुरि नहिं आयौ ॥

तेहूँतें आगे, दूरितें दूरि परेतें परे जाइ छायो ॥

'यारी' कहै अति पूरन तेजा, सो देखि सरूप पतंग समायो ।

आवै न जाय, मरै मरै नहिं जीवै, हलै न टलै तहवाँ ठहरायो ॥

N/A

References : N/A
Last Updated : December 25, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP