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उड रे उड बिहंगम चढु ...

भजन - उड रे उड बिहंगम चढु ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


उड रे उड बिहंगम चढु अकास ।

जहँ नहि चाँद-सूर निसि-बासर, सदा अमरपुर अगम बास ॥

देखै उरघ अगाध निरंतर हरष सोक नहिं जमकै त्रास ।

कह 'यारी' तहँ बधिक-फाँस नहिं फल खायो जगमग परकास ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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