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गगन गुफामें बैठिके रे , उ...

भजन - गगन गुफामें बैठिके रे , उ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


गगन गुफामें बैठिके रे, उलटिके अपना आप देखै ।

अजपा जपै बिन जीभसों रे, बिन नैन निरंजन रूप लेखै ॥

जोति बिना दीपक है रे, दीपक बिना जगमग पेखै ।

'यारी' अलख अलेख है रे, भेषके भीतर भेष भेषै ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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