हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|तुलसीदास भजन|भजन संग्रह १|
माधवजू मोसम मंद न कोऊ । ...

भजन - माधवजू मोसम मंद न कोऊ । ...

तुलसीदास हिन्दीके महान कवी थे, जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महान रचना की ।


माधवजू मोसम मंद न कोऊ ।

जद्यपि मीन पतंग हीनमति, मोहि नहिं पूजैं ओऊ ॥१॥

रुचिर रूप-आहार-बस्य उन्ह, पावक लोह न जान्यो ।

देखत बिपति बिषय न तजत हौं ताते अधिक अयान्यो ॥२॥

महामोह सरिता अपार महँ, संतत फिरत बह्यो ।

श्रीहरि चरनकमल-नौका तजि फिरि फिरि फेन गह्यो ॥३॥

अस्थि पुरातन छुधित स्वान अति ज्यों भरि मुख पकरै ।

निज तालूगत रुधिर पान करि, मन संतोष धरै ॥४॥

परम कठिन भव ब्याल ग्रसित हौं त्रसित भयो अति भारी ।

चाहत अभय भेक सरनागत, खग-पति नाथ बिसारी ॥५॥

जलचर-बृंद जाल-अंतरगत होत सिमिट एक पासा ।

एकहि एक खात लालच-बस, नहिं देखत निज नासा ॥६॥

मेरे अघ सारद अनेक जुग गनत पार नहिं पावै ।

तुलसीदास पतित-पावन प्रभु, यह भरोस जिय आवै ॥७॥

N/A

References : N/A
Last Updated : December 15, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP