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केहू भाँति कृपासिंधु मेरी...

भजन - केहू भाँति कृपासिंधु मेरी...

तुलसीदास हिन्दीके महान कवी थे, जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महान रचना की ।


केहू भाँति कृपासिंधु मेरी ओर हेरिये ।

मोको और ठौर न सुटेक एक तेरिये ॥

सहस सिलातें अति जड़ मति भई है ।

कासो कहौं, कौन गति पाहनहिं दई है ॥

पद-राग-जाग चहौं कौसिक ज्यों कियो हौं ।

कलि-मल-खल देखि भारी भीति भियो हौं ॥

करम-कपीस बालि बली-त्रास-त्रस्यो हौं ।

चाहत अनाथ नाथ तेरी बाँह बस्यो हौं ॥

महा मोह रावन बिभीषन ज्यों हयो हौं ।

त्राहि तुलसीस ! त्राहिं तिहूँ ताप तयो हौं ॥

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Last Updated : December 15, 2007

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