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ऐसे राम दीन -हितकारी । अ...

भजन - ऐसे राम दीन -हितकारी । अ...

तुलसीदास हिन्दीके महान कवी थे, जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महान रचना की ।


ऐसे राम दीन-हितकारी ।

अति कोमल करुनानिधान बिनु कारन पर उपकारी ॥१॥

साधन हीन दीन निज अघ-बस सिला भई मुनि नारी ।

गृहतें गवनि परसि पद पावन, घोर सापते तारी ॥२॥

हिंसारत निषाद तामस बपु, पसुसमान बनचारी ।

भेंट्यो ह्रदय लगाइ प्रेमबस, नहिं कुल जाति बिचारी ॥३॥

जद्यपि द्रोह कियो सुरपति सुत, कहि न जाय अति भारी ॥।

सकल लोक अवलोकि सोकहत, सरन गये भय टारी ॥४॥

बिहँग जोनि आमिष अहार पर, गीध कौन ब्रतधारी ।

जनक समान क्रिया ताकी निज कर सब भाँति सँवारी ॥५॥

अधम जाति सबरी जोषित जड़, लोक बेद तें न्यारी ।

जानि प्रीत, दै दरस कृपानिधि, सोउ रघुनाथ उघारी ॥६॥

कपि सुग्रीव बंधु-भय-ब्याकुल, आयो सरन पुकारी ।

सहि न सके दारुन दुख जनके, हत्यो बालि, सहि गारी ॥७॥

रिपुको अनुज बिभीषन निसिचर, कौन भजन अधिकारी ।

सरन गये आगे ह्वै लीन्हों भेंट्यो भुजा पसारी ॥८॥

असुभ होइ जिनके सुमिरे तें बानर रीछ बिकारी ।

बेद बिदित पावन इये ते सब, महिमा नाथ तुम्हारी ॥९॥

कहँ लगि कहौं दीन अगनित जिन्हकी तुम बिपति निवारी ।

कलि-मल-ग्रसित दस तुलसीपर, काहे कृपा बिसारी ? ॥१०॥

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Last Updated : December 15, 2007

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