हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|तुलसीदास भजन|भजन संग्रह १|
कौन जतन बिनती करिये । नि...

भजन - कौन जतन बिनती करिये । नि...

तुलसीदास हिन्दीके महान कवी थे, जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महान रचना की ।


कौन जतन बिनती करिये ।

निज आचरन बिचारि हारि हिय, मानि-जानि डरिये ॥१॥

जेहि साधन हरि द्रवहु जानि जन, सो हठि परिहरिये ।

जात बिपति जाल निसिदिन दुख, तेहि पथ अनुसरिये ॥२॥

जानत हुँ मन बचन करम परहित कीन्हें तरिये ।

सो बिपरित, देखि परसुख बिनु कारन ही जरिये ॥३॥

स्त्रुति पुरान सबको मत यह सतसंग सुदृढ़ धरिये ।

निज अभिमान मोह ईर्षा बस, तिनहि न आदरिये ॥४॥

संतत सोइ प्रिय मोहि सदा जाते भवनिधि परिये ।

कहौ अब नाथ ! कौन बलतें संसार-सोम हरिये ॥५॥

जब-कब निज करुना-सुभावतें द्रव्हु तौ निस्तरिये ।

तुलसीदास बिस्वास आन नहिं, कत पचि पचि मरिये ॥६॥

N/A

References : N/A
Last Updated : December 15, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP