पातकदहन भुवनेश्वरी कवच - शिव उवाच पातकं दहनं ...

कवचका अर्थ सुरक्षात्मक आवरण या सुरक्षा प्रणाली   ।  


शिव उवाच

पातकं दहनं नाम कवचं सर्व्वकामदम् ।

शृणु पार्व्वति वक्ष्यामि तव स्नेहात्प्रकाशितम् ॥

श्रीशिवजी बोले-हे पार्वती ! ' पातकदहननामक ' भुवनेश्वरी का कवच कहता हूं , सुनो। इसके द्वारा सब कामना पूर्ण होती हैं । तुम्हारे प्रति स्नेह के कारण इसको प्रकाशित करता हूं ।

पातकं दहनस्यास्य सदाशिव ऋषिः स्मृत: ।

छन्दोऽनुष्टुब् देवता च भुवनेशी प्रकीर्तिता ।

धर्मार्थकाममोक्षेषु विनियोगः प्रकीर्तितः ॥

इस कवच के ऋषि सदाशिव , छंद अनुष्टुप् देवता भुवनेश्वरी और धर्मार्थकाममोक्ष में इसका विनियोग है ।

ऐं बीजं मे शिरः पातु ह्रीं बीजं वदनं मम ।

श्रीं बीजं कटिदेशन्तु सर्वाङ्गं भुवनेश्वरी ॥

दिक्षु चैव विदिश्वीयं भुवनेशी सदावतु ॥

ऐं बीज मेरे मस्तक की , ह्रीं मुख की , श्रीं कमर की और भुवनेश्वरी सर्वांग की रक्षा करे । क्या दिशा क्या विदिशा सर्वत्र भुवनेशी रक्षा करें ।

पातकदहन भुवनेश्वरी कवच फलश्रुति

अस्यापि पठनात्सद्यः कुबेरोऽपि धनेश्वरः ॥

तस्मात्सदा प्रयत्नेन पठेयुर्म्मानवा भुवि ॥

इस कवच के पढने के प्रसाद में कुबेरजी तत्काल धनाधिम हुए हैं , अतएव मनुष्य को यत्नसहित इसका सदा पाठ करना चाहिये ।

इति: श्री पातकदहन भुवनेश्वरी कवचम् ॥

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Last Updated : August 13, 2025

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