ज्वरनिवारण कवच - श्रीदेव्युवाच । ...

कवचका अर्थ सुरक्षात्मक आवरण या सुरक्षा प्रणाली   ।  


श्रीदेव्युवाच ।

भगवन्प्रमथाधीश देवदेव जगद्गुरो ।

युद्धस्य वारणं देव ज्वर देवरणं तथा ॥१॥

श्रीदेवीजी ने कहा- हे भगवन् ! हे प्रमथाधीश देवदेव जगद्गुरो शंकर ! युद्ध और ज्वरादि का निवारण ॥१॥

क्षिप्रं भवेत्कथं नाथ कृपया परया वद ।

नाशुत्राता च जगतां त्वां विना परमेश्वर ॥२॥

किस प्रकार शीघ्र संपादित होता है , यह मुझसे कृपापूर्वक वर्णन कीजिये। हे नाथ! हे देव ! हे परमेश्वर ! आपके अतिरिक्त जगत्का शीघ्र रक्षा करनेवाला कोई नहीं है ॥२॥

ईश्वर उवाच ।

कथयामि तव स्नेहात्कवचं वारणं महत् ।

युद्धस्य च ज्वरादेश्व क्षिप्रं हि नगनन्दिनि ।

प्राकृतेनैव वाक्येन कथयामि शृणुष्व तत् ॥३॥

ईश्वर बोले- हे पर्वतनन्दिनी ! मैं तुम्हारे स्नेह से वशीभूत होकर युद्ध और ज्वरादि का शीघ्र निवारण करनेवाला महत्कवच प्राकृत वचनों में कहता हूं , सो सुनो ॥३॥

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Last Updated : August 12, 2025

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