हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|अनुवादीत साहित्य|रामदासकृत हिन्दी मनके श्लोक|बहुजिनसी| ॥ समास नववां - निद्रानिरूपणनाम ॥ बहुजिनसी ॥ समास पहला - बहुदेवस्थाननिरूपणनाम ॥ ॥ समास दूसरा - सर्वज्ञसंगनिरूपणनाम ॥ ॥ समास तीसरा - निस्पृहसिकवणनिरूपणनाम ॥ ॥ समास चौथा - देहदुर्लभनिरूपणनाम ॥ ॥ समास पांचवां - करंटेपरीक्षानिरूपणनाम ॥ ॥ समास छठवां - उत्तमपुरुषनिरूपणनाम ॥ ॥ समास सातवां - जनस्वभावनिरूपणनाम ॥ ॥ समास आठवां - अंतरदेवनिरूपणनाम ॥ ॥ समास नववां - निद्रानिरूपणनाम ॥ ॥ समास दसवां - श्रोताअवलक्षणनिरूपणनाम ॥ बहुजिनसी - ॥ समास नववां - निद्रानिरूपणनाम ॥ ‘स्वधर्म’ याने मानवधर्म! जिस धर्म के कारण रिश्तों पहचान होकर मनुष्य आचरन करना सीखे । Tags : hindimanache shlokramdasमनाचे श्लोकरामदासहिन्दी ॥ समास नववां - निद्रानिरूपणनाम ॥ Translation - भाषांतर ॥ श्रीरामसमर्थ ॥ वंदन कर आदिपुरुष । कहूं निद्रा का विलास । आने पर निद्रा सहज । जायेगी नहीं ॥१॥ निद्रा से व्याप्त काया । आलस से शरीर तोडे जम्हायियां । इस कारण बैठने का । धीरज नहीं ॥२॥ जोरो से जम्हाईयां आतीं । चुट चुट चुटकियां बजतीं । डगमग डगमग झपकिया आती । सहज ही ॥३॥किसी की आंखें मुंदतीं । किसी की पलकें झुकती । हडबडाकर देखता कोई । चारों ओर ॥४॥ कोई औंधे मुंह गिर गया । उससे फूटी ब्रह्मवीणा । हुडकी वाद्य टूट गया । सुध नहीं ॥५॥ कोई टिककर बैठा । वहीं खरटि भरने लगा । कोई चित हो पसरा । आराम से ॥६॥ कोई उकडू बैठ गया । कोई एक करवट पर सो गया । कोई चक्राकार घूमने लगा । चारों ओर ॥७॥ कोई हांथ हिलाता । कोई पैर हिलाता । कोई दात पीसता । किटकिटाकर ॥८॥ किसी के वस्त्र निकल गये । वे विवस्त्र ही लेटे रहे । किसी का सिर के वस्त्र बिखरे । चारों ओर ॥९॥ कोई सोया अस्तव्यस्त । कोई दिखता जैसे प्रेत । भूतों जैसे फैलाकर दांत । दिखते भीषण ॥१०॥ कोई बडबडाते उठ गया । कोई अंधेरे में घूमने लगा । कोई जाकर सो गया । कूडे के ढेर पर ॥११॥ कोई मटकी उतारता । कोई भूमि टटोलता । कोई उठकर चलने लगता । किसी भी ओर ॥१२॥ कोई प्राणी बडबडाता । कोई सिसक सिसककर रोता । कोई खिलखिलाकर हंसता । सावकाश ॥१३॥ कोई पुकारते उठ गया । कोई चिल्लाते उठ गया । कोई बिचककर रह गया । अपनी जगह पर ॥१४॥कोई रह रहकर घिसटता । कोई सिर खुजलाता । कोई कांखने लगता । सावकाश ॥१५॥ लार टपकती किसी की । पीक बहती किसी की । लघुशंका करता कोई । सावकाश ॥१६॥ कोई अपान वायु छोडता । कोई खट्टी डकार लेता । कोई खकारकर थूकता । कहीं भी ॥१७॥ कोई विष्ठा कोई वमन करता । कोई खांसता कोई छींकता । एक वह पानी मांगता । नींद भरे स्वर में ॥१८॥ एक दुःस्वप्न से घबरा गया । एक सुस्वप्न से संतुष्ट हुआ । एक बेहोश सा पडा रहा । सुषुप्ति में ॥१९॥इधर उगने लगा दिन । किसी ने आरंभ किया पठन । कोई करके प्रातः स्मरण । हरिकीर्तन करे ॥२०॥किसी ने ध्यान मूर्ति का स्मरण किया । कोई एकांत में जप करता । कोई कंठस्थ रटने लगा । नाना प्रकारों से ॥२१॥ नाना विद्या कला नाना । सब सीखते अपना अपना । तानमान गायनकला । कोई गाता ॥२२॥ पीछे निद्रा समाप्त हुई । आगे जागृति प्राप्त हुई । व्यवसाय में बुद्धि अपनी । प्रेरित की ॥२३॥ ज्ञाता तत्त्वों को छोड भागा । तुर्या के पार गया । आत्मनिवेदन से हुआ । ब्रह्मरूप ॥२४॥ इति श्रीदासबोधे गुरुशिष्यसंवादे निद्रानिरूपणनाम समास नववां ॥९॥ N/A References : N/A Last Updated : December 09, 2023 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP