हिंदी सूची|भारतीय शास्त्रे|तंत्र शास्त्र|कालीतंत्र|
आवरण पूजा

कालीतंत्र - आवरण पूजा

तंत्रशास्त्रातील अतिउच्च तंत्र म्हणून काली तंत्राला अतिशय महत्व आहे.


आवरण-पूजा

सर्वप्रथम अंजुलि में पुष्प लेकर निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करेः
ॐ संविन्मये परमेशानि परामृते चरुप्रिये ।
अनुज्ञां दक्षिणे देहि परिवारार्च्यनाय मे ॥

उक्त मंत्र का पाठ करने के उपरान्त पूजितास्तर्पिताः सन्तु बोलकर निम्नानुसार आवरण-पूजा करे:

प्रथमावरण

षट्‌कोण केसरों में, आग्नेयादि चारों दिशाओं में तथा मध्य दिशा में षडंगों की क्रमशः पूजा करे ।

प्रथमावरण की पूजा आरम्भ करते समय निम्नवत ध्यान करे:

ध्यान

तुषारस्फटिकश्याम नीलकृष्णारुणास्तथा ।
वरदाभयधारिण्यः प्रधान तनवः स्त्रियः ॥

ध्यानोपरान्त निम्नानुसार पूजा आरम्भ करे:
ॐ क्रां ह्नदयाय नमः ।
(हृदय देवताः श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः) ।

ॐ क्रीं शिरसे स्वाहा ।
(शिरोदेवताः श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः) ।
 
ॐ क्रू शिखायै वषट् ।
(शिखा देवताः श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः) ।

ॐ क्रैं कवचाय हुम्  ।
(कवच देवताः श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः) ।

ॐ क्रौं नेत्रत्रयाय वौषट् ।
(नेत्र देवताः श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः) ।

ॐ क्रः अस्त्राय फट् ।
अस्त्र देवताः श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः) ।
तदोपरान्त पुष्पांजलि लेकर पहले मूल-मंत्र का फिर निम्नलिखित प्रार्थना-मंत्र का उच्चारण करे:

ॐ अभीष्ट सिद्धि मे देहि शरणागतवत्सले ।
भक्त्या सपर्मये तुभ्यं प्रथमावरणार्चनम् ॥
ऐसा कहकर पुष्पांजलि दे, विशेषार्घ्य से जल-बिन्दु डालकर पूजितास्तर्पिताः सन्तु कहे ।

द्वितीयावरण

पूज्य तथा पूजक के मध्य पूर्वदिशा को अन्तराल मानकर तदनुसार अन्य दिशाओं की कल्पना करे । प्राची-क्रम से षट्‌कोणों में काली आदि का पूजन करे । द्वितीयावरण-पूजा में सर्वप्रथम निम्नलिखित मंत्र से ध्यान करेः

ध्यान

ॐ सर्वाः श्यामा असिकरा मुण्डमाला विभूषितः ।
तर्जनीं वामहस्तेन धारयंत्यश्च सुस्मिताः ॥
ध्यानोपरान्त निम्नानुसार पूजा करे:

ॐ काल्यै: नमः ।
(काली श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः) ।

ॐ कपालिन्यै नमः ।
(कपालिनी श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः) ।


ॐ कुल्लायै नमः ।
(कुल्ला श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः) ।

ॐ कुरुकुल्लायै नमः ।
(कुरुकुल्ला श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः) ।
 
ॐ विरोधिन्यै नमः ।
(विरोधिनी श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः) ।

ॐ विप्रचित्तायै नमः ।
(विप्रचित्ता श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः) ।

पूजनोपरांत पुष्पांजलि लेक पहले मूल मंत्र का तथा बाद में निम्नलिखित प्रार्थना मंत्र का उच्चारण करे:

ॐ अभीष्टसिद्धि मे देहि शरणागत वत्सले ।
भक्त्या समर्पये तुभ्यं तृतीयावरणार्चनम् ॥

उच्चारण कर पुष्पांजलि दे और पूजितास्तर्पिताः सन्तु कहे ।

तृतीयावरण

यंत्र के तीन कोणों में उग्रादि नौ देवियों की पूजा निम्नवत करेः
प्रथम कोण के सामने

ॐ उग्रायै नमः ।
(प्रथम कोण के बाईं ओर)

ॐ उग्र प्रभायै नमः ।
(प्रथम कोण के दाईं ओर)

ॐ दीप्तायै नमः ।
(द्वितीय कोण के सामने)

ॐ नीलायै नमः ।
(द्वितीय कोण के बाईं ओर)

ॐ घनायै नमः ।
(द्वितीय कोण के दाईं ओर)

ॐ बलाकायै नमः ।
(तृतीय कोण के सामने)

ॐ मात्रायै नमः ।
(तृतीय कोण के सामने)

ॐ मात्रायै नमः ।
(तृतीय कोण के बाईं ओर)

ॐ मुद्रायै नमः ।
(तृतीय कोण के दाईं ओर)

ॐ मित्रायै नमः ।
तदोपरांत पुष्पांजलि लेकर मूल मंत्र का उच्चारण कर निम्नवत प्रार्थना करे:

ॐ अभीष्ट सिद्धिं मे देहि शरणागत वत्सले ।
भक्त्या समर्पये तुभ्यं तृतीयावरणार्चनम् ॥
ततश्च पुष्पांजलि देकर पूजितास्तर्पिता संतु बोले ।

चतुर्थावरण
चतुर्थ आवरण-पूजा में अष्टदल में पूर्वादि क्रम से आठ शक्तियों का पूजन करे । निम्नवत ध्यान करे:

ध्यान

दण्डं कमण्डलुं पश्चादक्षसूत्र महाभयम् ।
बिभूती कनकच्छाया ब्राह्माकृष्णाजिजोज्ज्वला ॥
शूलं परश्वधङ्क्षुद्रदुन्दुभीं नृकरोटिकाम् ।
वहंती हिमसंकाशा ध्येया माहेश्वरी शुभा ॥
अंकुशं दण्ड खट्‌वाङ्गौ पाशं च दधती करैः ।
बन्धूक पुष्पसंकाशा कुमारी कामदायिनी ॥
चक्रं घण्टां कपालं च शंखं च दधती करैः ।
तमालश्यामला ध्येया वैष्णवी विभ्रमोज्ज्वला ॥
मुशलं खटवांगं च खेटकं दधती हलम् ।
करैश्चतुर्भिर्वाराही ध्येया कालघनच्छविः ॥
अंकुशं तोमरं विद्युत्कुलिशं बिभ्रती करैः ।
इन्द्र नीलनिभेन्द्राणी ध्येया सर्वासमृद्धिदा ॥
शूलं कृपाणं नृशिरः कपालं दधती करैः।
मुण्डस्त्रङ् मण्डिता ध्येया चामुण्डा रक्त विग्रहा ॥
अक्षस्त्रजं बीजपूरं कपालं दधीती करैः ।
वहन्ती हेमसङ्काशा मोहलक्ष्मीस्समीरिता ॥
ध्यानोपरान्त इस प्रकार पूजा करे:

ॐ ब्राह्मी नमः ।
(ब्राह्मी श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः ।

ॐ नारायण्यै नमः
(नारायणी श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः) ।

ॐ माहेश्वर्यैं नमः ।
(माहेश्वरी श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः) ।

ॐ चामुण्डायै नमः ।
(चामुण्डायै श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः) ।

ॐ कौमार्यैं नमः ।
( कौमारी श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः) ।

ॐ अपराजितायै नमः ।
अपराजिता श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः) ।

ॐ वाराह्यै नमः ।
(वाराही श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः) ।

ॐ नारसिंह्यै नमः ।
(नारसिंही श्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः) ।
पूजनोपरांत पुष्पांजलि लेकर मूल मंत्र व प्रार्थना मंत्र का उच्चारण करे:

ॐ अभीष्ट सिद्धिं मे देहि शरणागत वत्सले ।
भक्त्या समर्पये तुभ्यं चतुर्थावरणार्चनम् ॥
तदोपरांत पुष्पांजलि देकर पूजितास्तर्पिताः सन्तु कहे ।

N/A

References : N/A
Last Updated : December 28, 2013

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP