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प्रभाती
Meanings: 10; in Dictionaries: 4
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પ્રભાતિયું
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پرٛباتیٖ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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பிரபாத்தி
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ਪ੍ਰਭਾਤ-ਗੀਤ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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പ്രഭാതി
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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प्रभातिः
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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પ્રભાતી
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ପ୍ରଭାତୀ
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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প্রভাতী
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پربھاتی
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निरंजन स्वामीकृत प्रभाती
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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राष्ट्रपताका - करु वंदना प्रभाती। करु की...
साने गुरूजींचे संपूर्ण नाव - पांडुरंग सदाशिव साने
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پرٛبھاتی
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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பிரபாதி
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ਪ੍ਰ੍ਭਾਤੀ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ପ୍ରଭାତୀ ରାଗ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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പ്രഭാതി രാഗം
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પ્રભાવતી
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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अभंग ३
श्रीमंत पुतळाराजे डॉवेजर राणीसाहेब रचित त्रयोदश अभंगमाला.
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वात्सल्य
कवी 'बी' हे कवींचे कवी आहेत. अनेक कवींना स्फूर्ति पुरविण्याइतके चैतन्य व तेज त्यांच्या कवितेत काठोकाठ भरलेले आहे.
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वेदांत काव्यलहरी - आरत्या
सदर ग्रंथाची किंमत होती - जो जी देईल ती. सदर पुस्तकाबद्दल दैनिक सकाळ २६/०६/१९३८ चे अंकात अभिप्राय छापून आलेला आहे.
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भजन - जोगाई ग अंबाई ग ।...
भजन - A bhajan or kirtan is a Hindu devotional song , often of ancient origin. Great importance is attributed to the singing of bhajans with Bhakti , i.e. loving devotion. "Rasanam Lakshanam Bhajanam" means the act by which we feel more closer to our inner self or God, is a bhajan. Acts which are done for the God is called bhajan.
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प्रभावती
Meanings: 53; in Dictionaries: 8
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गीत दासायन - प्रसंग ५
गीत दासायन हे गीत रामायण प्रमाणेच मधुर काव्य आहे.
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प्र.के.अत्रे - " कोठुनि हे आले येथें? ...
प्रल्हाद केशव अत्रे (१३ऑगस्ट १८९८ - १३ जून १९६९) हे मराठीतील नावाजलेले लेखक, कवी, नाटककार, मराठी व हिंदी चित्रपट निर्माते, चित्रपट कथाकार, चरित्र लेखक, शिक्षणतज्ञ, संपादक, पत्रकार, राजकारणी, हजरजबाबी वक्ते आणि संयुक्त महाराष्ट्राच्या चळवळीचे एक प्रमुख नेते होते.
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भारूड - स्वप्न
श्री समर्थांनी दासबोध ग्रंथासोबतच गाथा आणि भारुडे रचून इतिहास घडविला आहे.
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गीत महाभारत - द्रौपदी-सत्यभामा-संवाद
महर्षी व्यासांनी लिहिलेले महाभारत हे मानवी जीवनाच्या सर्व अंगांना स्पर्श करणारे व ज्ञानाने ओतप्रोत भरलेले असे महाकाव्य आहे.
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क्रीडा खंड - अध्याय १८
श्री गणेश पुराणाचे पारायण केल्याने समाधान मिळते आणि जीवनातील सर्व पापे नष्ट होतात.
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गीत महाभारत - कीचकवध
महर्षी व्यासांनी लिहिलेले महाभारत हे मानवी जीवनाच्या सर्व अंगांना स्पर्श करणारे व ज्ञानाने ओतप्रोत भरलेले असे महाकाव्य आहे.
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कथामृत - अध्याय पहिला
प्रस्तुत कथामृताच्या पारायणाने भक्तगणांना वारंवार विविध मनोहारी अनुभव येतात.
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अवतारवाणी - भजन संग्रह ३५
संपूर्ण अवतारवाणी या पवित्र काव्यात्मक ग्रंथरूपी भजनांची रचना शेहनशाह सत्गुरू बाबा अवतारसिंहजी महाराजांच्या मुखारविंदातून पंजाबी भाषेत झाली. या दैवी ग्रंथाला अलौकीक लोकप्रियता लाभली.
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उपदेशपर पदे - भाग ४
श्री समर्थांनी दासबोध ग्रंथासोबतच गाथा आणि भारुडे रचून इतिहास घडविला आहे
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भागीरथीबाई - अभंग संग्रह १ ते १०
श्रीसद्गुरु भागीरथीबाई वैद्य यांचे अभंग अवीट गोडीचे असून मन प्रसन्न करणारे आहेत .
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नामदेवनिरुपण
कीर्तनकारांना नित्य उपयोगी अशी आख्याने. विष्णुदासांनी याला ’कीर्तन-मुक्ताहार’ असे नाव दिले होते.
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श्रीमांगीशमहात्म्य - अध्याय चौदावा
श्रीमांगीशमहात्म्य
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चाणक्यनीति - अध्याय १५
आर्य चाणक्य अपने चाणक्य नीति ग्रंथमे आदर्श जीवन मुल्य विस्तारसे प्रकट करते है।
Nitishastra is a treatise on the ideal way of life, and shows Chanakya's in depth study of the Indian way of life.
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गंगारत्नमाला - भाग ८
कवी नरहरी यांनी पौराणिक काव्य लिहून मराठी भाषेला एक आगळीच झळाळी दिली.
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भक्तिपर पद्यें
कीर्तनकारांना नित्य उपयोगी अशी आख्याने. विष्णुदासांनी याला ’कीर्तन-मुक्ताहार’ असे नाव दिले होते.
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श्री गणेश प्रताप - क्रीडाखंड अध्याय ७
सर्व कीर्तीने युक्त, सर्व देवाधिदेवांमध्ये श्रेष्ठ अशा अत्यंत प्रिय असलेल्या श्रीगजाननाच्या स्तुतीपर हा ग्रंथ आहे.
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श्रीनाथलीलामृत - अध्याय १३ वा
नाथसंप्रदाय भारताच्या सांस्कृतिक इतिहासांत महनीय स्थान पावलेला संप्रदाय आहे.
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दीपप्रकाश - चतुर्दश किरण
Shri Madhavnath Maharaj (1857–1936) was a Hindu saint, of Karvi, Chitrakoot, Madhya Pradesh, who continued the Nath Sampradaya of the famous Navnaths in India.
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धर्माख्यान
कीर्तनकारांना नित्य उपयोगी अशी आख्याने
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दीपप्रकाश - एकोनविंशति किरण
Shri Madhavnath Maharaj (1857–1936) was a Hindu saint, of Karvi, Chitrakoot, Madhya Pradesh, who continued the Nath Sampradaya of the famous Navnaths in India.
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श्रीनाथलीलामृत - अध्याय १८ वा
नाथसंप्रदाय भारताच्या सांस्कृतिक इतिहासांत महनीय स्थान पावलेला संप्रदाय आहे.
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श्रीकृष्ण कथामृत - चौदावा सर्ग
संतकवि श्रीगणुदास यांनी रचलेले श्रीकृष्ण - कथामृत अमृताची गोडी देते.
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श्रीशिवलीलामृत - अध्याय पंधरावा
भगवान शंकराची कृपा प्राप्त करून घेण्यासाठी शिवलीलामृत पोथीचे पारायण करावे.
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