द्वितीय सर्ग - श्लोक १ ते २०
श्रीविद्यारण्यस्वामिविरचितः
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द्वितीय सर्ग - श्लोक २१ ते ४०
श्रीविद्यारण्यस्वामिविरचितः
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श्रीमच्छङ्करदिग्विजय: - व्दितीय: सर्ग:
श्रीविद्यारण्यविरचित: श्रीमच्छडरदिग्विजय: ॥
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विवाहप्रकरणम् - श्लोक ५४ ते ७२
अनुष्ठानप्रकाश , गौडियश्राद्धप्रकाश , जलाशयोत्सर्गप्रकाश , नित्यकर्मप्रयोगमाला , व्रतोद्यानप्रकाश , संस्कारप्रकाश हे सुद्धां ग्रंथ मुहूर्तासाठी अभासता येतात .
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हंसावलीकथा
क्षेमेन्द्र संस्कृत भाषेतील प्रतिभासंपन्न ब्राह्मणकुलोत्पन्न काश्मीरी महाकवि होते.
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वराहमिहिर - विवाहपटलम्
विवाहपटलम् ग्रथात वराहमिहिरने अतिशय समर्पकपणे विवाहासंबंध विचार मांडले आहेत.
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