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غلیان
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फुटी
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ଫୁଟିବା
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வெடித்தல்
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పేలటం
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স্ফুটাঙ্ক
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ક્વથન
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उत्कलन
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क्वथन
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പൊട്ടല്
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क्वथनम्
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തിളയ്ക്കല്
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گرٛٮ۪کُن
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ফাটা
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ફૂટવું
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फूटना
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ಒಡೆ
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फुटणे
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फुटणी
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मेझरपट्टी
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फुटप
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रामज्ञा प्रश्न - चतुर्थ सर्ग - सप्तक १
गोस्वामी तुलसीदासजीने श्री. गंगाराम ज्योतिषीके लिये रामाज्ञा-प्रश्नकी रचना की थी, जो आजभी उपयोगी है ।
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कथाकल्पतरू - स्तबक ६ - अध्याय १
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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अध्याय नववा - समास पहिला
श्रीसद्गुरुलीलामृत
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उत्तर खंड - निर्धारयोगो
सत्कार्योत्तेजक सभा धुळें, महाराष्ट्रधर्मग्रन्थमाला
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कथाकल्पतरू - स्तबक ६ - अध्याय ७
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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रुक्मिणी स्वयंवर - प्रसंग सोळावा
रुक्मिणी स्वयंवर या ग्रंथाचे पारायण केल्याने विवाह लवकर होण्यास मदत होते आणि सुस्वरूप, अनुरूप पती मिळतो असा अनेकांचा अनुभव आहे म्हणून शक्यतो कुमारिकांनी या ग्रंथाचे पारायण करावे.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ३ - अध्याय २
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ७ - अध्याय १५
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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श्रीनाथलीलामृत - अध्याय १७ वा
नाथसंप्रदाय भारताच्या सांस्कृतिक इतिहासांत महनीय स्थान पावलेला संप्रदाय आहे.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ५ - अध्याय ७
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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दशक पंधरावा - आत्मदशक
दशक पंधरावा - आत्मदशक
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कथाकल्पतरू - स्तबक ६ - अध्याय १२
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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संत गजानन महाराज शेगावीचा योगीराणा
दत्त संप्रदायाचे प्रवर्तक श्रीचक्रधर यांची परंपरा दत्तात्रेय-चांगदेव राऊळ-गुंडम राऊळ-चक्रधर अशी आहे.
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