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अनुभाव
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انُوبھاؤ
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अनुभावः
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அனுபாவ்
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ਅਨੁਭਾਵ
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অনুভাব
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ଅନୁଭାବ
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અનુભાવ
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അനിഭാവം
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कायिक अनुभाव
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upshot
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event
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consequence
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ಅನುಭವ
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result
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outcome
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effect
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issue
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अनुभाविन्
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आंगिक
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महानुभाव
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विभाव
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अर्थालंकार - रसवत्
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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स्थाय
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आहार्य्य
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ससंदेहालंकार - लक्षण ५
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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उदाहरणालंकार - लक्षण ४
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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स्मरणालंकार - लक्षण ३
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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मराठी पदें - पदे १९६ ते २००
वेदान्तशास्त्र हे नुसते बुध्दिगम्य व वाक्चातुर्यदर्शक शास्त्र नसून प्रत्यक्ष अनुभवगम्य शास्त्र आहे हे या ग्रन्थातून स्पष्ट होते.
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स्मरणालंकार - लक्षण ४
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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उपमालंकार - लक्षण ४
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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अध्याय ७४ वा - श्लोक २१ ते २५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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मंदार मंजिरी - चित्रचातुरी
भिन्न भिन्न वेळी भिन्न भिन्न मासिकात छापलेली अशी कांही आणि आजपर्यंत मुळींच कोठेहीं न छापलेली कवी विद्याधर वामन भिडे यांची कांही निवडक काव्ये.
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भाव
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स्मरणालंकार - लक्षण २
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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पदे ३०१ ते ३५०
ही प्रत नागोशी शिवनाथ तोतड्या वाशिष्ठगोत्री याने शके १६१६ भावनाम संवत्सरी माघ वद्य ८ स गणेशभट हराळे या भिक्षुकाच्या वहीवरून उतरून घेतली.
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अध्याय ४८ वा - श्लोक २१ ते २५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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श्रीनरहरी सोनार चरित्र १
श्रीसद्गुरू दासगणु महाराजांची कीर्तनाख्यानें हीं अत्यंत वैशिष्ट्यपूर्ण, रसाळ आणि विविध काव्यगुणांनी संपन्न असून श्राव्य काव्याचा तो एक उत्कृष्ट नमुना आहे.
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अध्याय १० वा - श्लोक ११ ते २०
स्वामी स्वरूपानंद ह्या थोर सत्पुरूषाने ‘ अभंग ज्ञानेश्वरी ‘ नामक अत्यंत सुबोध , नितांत सुंदर आणि परम रसाळ असा अभंगात्मक ग्रंथ लिहीला .
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तुकाराम गाथा - अभंग संग्रह २२०१ ते २३००
तुकाराम महाराजांचे अभंग म्हणजे रोजच्या जीवनातील विविध व्यवहारातील सुत्ररूपाने केलेले मार्गदर्शन आणि जीवनाचे महाभाष्य.
Tukaram was one of the greatest poet saints, whose Abhang says the greatest philosophy of routine life.
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तुकाराम गाथा - अभंग संग्रह २८०१ ते २९००
तुकाराम महाराजांचे अभंग म्हणजे रोजच्या जीवनातील विविध व्यवहारातील सुत्ररूपाने केलेले मार्गदर्शन आणि जीवनाचे महाभाष्य.
Tukaram was one of the greatest poet saints, whose Abhang says the greatest philosophy of routine life.
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