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रायागेलें मन आनि रुक्का सावळी तत्तावळी परतता

   
Script: Devanagari

रायागेलें मन आनि रुक्का सावळी तत्तावळी परतता

   ( गो.) राजाचें मन आणि वृक्षाची सावली केव्हां उलट फिरेल तें सांगतां येत नाहीं. तु. - राजा मित्रं केन दृष्टं श्रुत वा।

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