हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|सहजोबाईजी| जीवन सहजोबाईजी अल्प परिचय विषय सूची जीवन सतगुरु की दया परमात्मा निर्गुण और सगुण मनुष्य-जन्म और प्रभुभक्ति शरीर और संसार की वास्तविकता नश्वर शरीर जगत् झूठा है कर्म और कर्मफल जीव की अवस्था बचपन युवावस्था वृद्ध अवस्था सहजोबाईजी - जीवन सहजोबाई का संबंध चरणदासी संप्रदाय से है । Tags : bhajansahajobaiभजनसहजोबाई जीवन Translation - भाषांतर विवाह की रस्मचलना है रहना नही, चलना बिस्वाबीस । सहिजो तनिक सुहाग पर, कहा गुंधावे सीस ॥==सब शिष भये महाराज के, मन क्रम लइ शरणाय । आज्ञाकारी ही रहैं, ये तिन्ह करें सहाय ॥==सहजोबाई का भक्ति भावहरि प्रसाद की पुत्री जानों । चरणदास की शिष्य पिछानों ॥ तिहुँ कुल दीपक सहजो बाई । सासर पीहर भक्ति बढ़ाई ॥ सत्य शील में साँवत साँची । जग कुल व्याधि सबन सों बाँची ॥ दया क्षमा की मूरति मानों । ज्ञान ध्यान भरपूर सु जानों ॥ साधुन को ऐसी सुखदाई । मानों भक्ति रूप धरि आई ॥ प्रेम लगन माँहीं अधिकाई । कर्मा और ज्यों मीराँ बाई ॥ योग युक्ति बैराग सुहाये । ये अँग जनु भूषण छबि छाये ॥ अनुभव हिये प्रकाश जु ऐसी । पूरण शशियर चाँदन जैसी ॥==जग की व्याधि मिटाय के, लावे हरि गुरु रंग । बानी जाकी सोहनी, सुनत जु उठे उमंग ॥==गुरु भक्ती एकी पहिचानों । दूजी ता सम और न मानों ॥ गुरु को सर्वस आपा अर्पा । गुरु बिन दूजा भाव न थर्पा ॥ गुरु ही ता के सर्वस जानों । जीवन मूरी गुरु पहिचानों ॥ राम से गुरु को अधिकी माने । पूरण ब्रह्म सु गुरु ही ठाने । गुरु का जाप जपे दिन रैना । गुरु का ध्यान धरे हिये चैना ॥ औरन को गुरु मत समझावे । गुरु बिन और न वाहि सुहावे ॥ जैसे सूरा रण में जूझे । ऐसो गुरु मत में आ रुझे ॥ गुरु की भक्ति करन का लाहा । जीवन जग में नेम निवाहा ॥==॥ दोहा ॥ चरणदास की शिष्य दृढ़, सहजो बाई जान । ताकी जो गुरु भक्ति पर, जोगजीत कुर्बान ॥==सहजो गुरु दीपक दियौ, रोम रोम उजियार । तीन लोक दृष्टा भये, मिटयौ भरम अँधियार ॥==सहजो गुरु दीपक दियौ, नैना भये अनन्त । आदि अन्त मध एक ही, सूझि पड़े भगवन्त ॥ N/A References : N/A Last Updated : December 19, 2023 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP