हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|सहजोबाईजी| युवावस्था सहजोबाईजी अल्प परिचय विषय सूची जीवन सतगुरु की दया परमात्मा निर्गुण और सगुण मनुष्य-जन्म और प्रभुभक्ति शरीर और संसार की वास्तविकता नश्वर शरीर जगत् झूठा है कर्म और कर्मफल जीव की अवस्था बचपन युवावस्था वृद्ध अवस्था सहजोबाईजी - युवावस्था सहजोबाई का संबंध चरणदासी संप्रदाय से है । Tags : bhajansahajobaiभजनसहजोबाई युवावस्था Translation - भाषांतर तरुनापा फिर आइया, पाँच भूत लै संग । जोबन मद मातो रहै, पियै बिषय को रंग ॥**तरुनापा भया सकल सरीरा । अंधा भया बिसरि हरि हीरा ॥ बिषय बासना के मद मातो । अहं आपदा के रंग रातो ॥ मूँछ मरोड़ अकड़ता डोलै । काहू तें मुख मीठ न बोलै ॥ कहै बराबर मेरे नाहीं । बुद्धिवान कोइ या जग माहीं ॥ मैं बलवन्त सबन पर भारी । द्रब्य कमाऊँ नरन अगारी ॥ महा दुखी सुख मान लियो है । मोह अमल अज्ञान पियो है ॥ भया कुटम्बी जब सुख कैसा । सहजो बन्ध पड़ै कोइ जैसा ॥ सुत पुत्री उपजै मरि जावै । सोच सोच तन मन दुख पावै ॥==द्रब्यहीन भटकत फिरै, ज्यों सराय को स्वान । झिड़कि दियो जेहि घर गया, सहजो रह्यौ न मान ॥==द्रब्यहीन सब को मुख जोहै । जाति बरन देखै नहिं को है ॥ निहुरि निहुरि ज्यों बन्दर नाचै । राम तजो इन बातन राचै ॥ बेटी ब्याह जोग घर माहीं । और भूखे सब कित सूँ खाहीं ॥ कहै हवेली एक बनाऊँ । अपने कुल में इज्जत पाऊँ ॥ कलपै बहुत सीस धुनि माथा । सहजो दुखी कुटॅब के साथा ॥ आवै ना सतसंगति माहीं । कुटँब जाल छुटकारा नाहीं ॥ हरि की भक्ति नहीं लौ लाई । दारा सुत धन की गुमराई ॥ दुख धन्धा करि जन्म गँवाया । सहज सहज बूढ़ापन आया ॥ N/A References : N/A Last Updated : December 19, 2023 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP