हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|सहजोबाईजी| जीव की अवस्था सहजोबाईजी अल्प परिचय विषय सूची जीवन सतगुरु की दया परमात्मा निर्गुण और सगुण मनुष्य-जन्म और प्रभुभक्ति शरीर और संसार की वास्तविकता नश्वर शरीर जगत् झूठा है कर्म और कर्मफल जीव की अवस्था बचपन युवावस्था वृद्ध अवस्था सहजोबाईजी - जीव की अवस्था सहजोबाई का संबंध चरणदासी संप्रदाय से है । Tags : bhajansahajobaiभजनसहजोबाई जीव की अवस्था Translation - भाषांतर जन्म मरन अब कहत हूँ, कहूँ अवस्था चार । चौरासी जमदंड कूँ, भिन्न भिन्न बिस्तार ॥ चरनदास अज्ञा दई, सहजो परगट गाय । ता सूँ पढ़ि सुनि जीव की, सकल बन्ध कटि जाय ॥==पापी जीव गर्भ जब आवै । भवन अँधेरे बहु दुख पावै ॥ तल मूड़ी ऊपर को पाऊँ । मुख लिंगी और बिष्टा ठाऊँ ॥ जठर अगिन इक रस जहँ लागी । अधिक तपै जहँ पतित अभागी ॥ खट्टा मीठा माता खावै । लागि छुरी सी बहु दुख पावै ॥ आप दुखी माता दुख पाया । दसें महीने जग में आया ॥ जग जंजाल देखकर रोया । नर नारी मिलि सभी बिगोया ॥ माया मोह पवन लगि भूला । सहजो गोद पालने झूला ॥ नाते सभी लगे उठि झूठे । पड़ा बन्ध में कैसे छूटे ॥==सब नाते उठि उठि लगे, रोम रोम लिया बन्ध । सहजो यह भी रलि मिला, फिर फिर भूला अन्ध ॥==कोई कहै मैं इसकी माई । कोई कहै लाला की दाई ॥ कोई कहै यह सुन्दर हीरा । गोद खेलाऊँ अपना बीरा ॥ कोई कहै मैं या का बापू । बालक पाया पुन्न प्रतापू ॥ कोई कहै मैं या की बूवा । चाचा कहै भतीजा हूवा ॥ कोई कहै यह मेरा भाई। कोई कहै मैं दादी आई ॥ कोई कहै मैं मा की बहिनी । कोई कहै मैं या की नानी ॥ कोई कहै मैं इसका मामा । लाया खाँड़ खडूले जामा ॥ कोई कहै मैं या का नाना । मामी ने भांजा करि जाना ॥ कोई कहै यह पोता बाल । कोई कहै यह मेरा लाल ॥==सब नाते लिये मान कर, घेरा घेरी घेर । झूठे साँचे से लगें, सुपने कंचन मेर ॥ पित्र देवता गोतिया, गरह नछत्तर सौन । सहजो बंधन बँधि गए, ताहि छुड़ावै कौन ॥ N/A References : N/A Last Updated : December 19, 2023 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP