हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|सहजोबाईजी| बचपन सहजोबाईजी अल्प परिचय विषय सूची जीवन सतगुरु की दया परमात्मा निर्गुण और सगुण मनुष्य-जन्म और प्रभुभक्ति शरीर और संसार की वास्तविकता नश्वर शरीर जगत् झूठा है कर्म और कर्मफल जीव की अवस्था बचपन युवावस्था वृद्ध अवस्था सहजोबाईजी - बचपन सहजोबाई का संबंध चरणदासी संप्रदाय से है । Tags : bhajansahajobaiभजनसहजोबाई बचपन Translation - भाषांतर गूँगा घी कहना जब सीखा । सेद्रू नाम मदारी भीखा ॥ माय बाप ले नाम पुकारें । जब किलकै तब तन मन वारें ॥ मुख चूमैं और कंठ लगावैं । देवी देवा बहुत मनावैं ॥ रोग होय तो बहु दुख पावैं । ले ले जहाँ तहाँ पग धावैं ॥ कबहूँ झरि पिंजर है जावै । कबहूँ खाँसी बहुत सतावै ॥ चलै पेट कबहूँ बहु रोवै । खीजै बहुत नेक नहिं सोवै ॥ ज्वर कबहूँ दूखें दोउ नैना । पुनः पुनः दुख लहै न चैना ॥ निकसै दाँत दाढ़ दुख भैया । जब सूँ जन्म सदा दुख पैया ॥==दुक्ख सुक्ख बढ़ने लगा, पाँच बरस भइ देह । जब पढ़ने बैठाइया, अपनी बिद्या लेह ॥==बालक का चित खेल मँझारे । ज्यौं ज्यौं पाधा छड़ियन मारै ॥ बैठि रहै तौ पकड़ बुलावै । बाँधि बाँधि दुख देत पढ़ावै ॥ मन ही मन सोचै दुख भारी । दुर्जन भये बाप महतारी ॥ दुख दे दे कर बहुत पढ़ाया । खोट कपट में घना सँधाया॥ ऐसे भया बरस द्वादस का । रहा नहीं उनहूँ के बस का ॥ मन में आवै सो पुनि करई । मात पिता सूँ नेक न डरई ॥ खेलै खेल बहुत परकारा । सबही बिधि लड़कापन हारा ॥ बालपना हस खेल गँवाया । गुरु की टहल सरन नहिं आया ॥ पाप पुन्न कूँ ना पहिचाना । सहजो कर्ता राम न जाना ॥ N/A References : N/A Last Updated : December 19, 2023 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP