हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|सहजोबाईजी| कर्म और कर्मफल सहजोबाईजी अल्प परिचय विषय सूची जीवन सतगुरु की दया परमात्मा निर्गुण और सगुण मनुष्य-जन्म और प्रभुभक्ति शरीर और संसार की वास्तविकता नश्वर शरीर जगत् झूठा है कर्म और कर्मफल जीव की अवस्था बचपन युवावस्था वृद्ध अवस्था सहजोबाईजी - कर्म और कर्मफल सहजोबाई का संबंध चरणदासी संप्रदाय से है । Tags : bhajansahajobaiभजनसहजोबाई कर्म और कर्मफल Translation - भाषांतर कर्म और कर्मफलपसु पंछी नर सुर असुर, जलचर कीट पतंग । सबही उतपति कर्म की, सहजो नाना अंग ॥==चौरासी का भँवरइक इक बार सबै तुम भये । कहिये कहा बहुत दुख सहे ॥ दुख खे खे करि यह तन पायौ । सहजो हरि गुरु बिना गँवायौ ॥ चरनदास गुरु पूरे पाये। चौरासी जम दंड छुटाये ॥==जहाँ आसा तहाँ वासासहजो रहै मन बासना, तैसी पावै ठौर । जहाँ आस तहँ बास है, निस्चै करी कड़ोर ॥==देह छूटै मन में रहै, सहजो जैसी आस । देह जन्म जैसो मिलें, जैसे ही घर बास ॥==जा की आस रहै मन्दिर में । होकर घूँस बसै सो घर में । रहै बासना द्रब्य मँझारा । जन्मै नाग होय पुनि कारा ॥==जा की रहै पुत्र में आसा । सूवर जन्म नीच घर बासा ॥जा का मन रहै राज दुवारे । हस्ती हो सिर मेलै छारे ॥रहै बासना नीर पियासी । मीन देह धरि जल की बासी ॥==रहै बासना बाहन संगा । होय जन्म ले बाहन अंगा ॥ जहाँ बासना जित ही जाई । यह मत बेद पुरानन गाई ॥ चरनदास गुरु मोहिं बताई । तजो बासना सहजोबाई ॥==साध संग की बासना, जेहि घट पूरी सोय । मनुष जन्म सतसंग मिलै, भक्ति परापत होय ॥==सहजो हरि के नाम की, रहै बासना बीर ।चौरासी संकट कटै, जम की छूटै पीर ॥==सहजो लोक प्रलोक की, नहीं बासना ताहि । सो वह ब्रह्म सरूप है, सागर लहर समाय ॥==जा की गुरु में बासना, सो पावै भगवान । सहजो चौथे पद बसै, गावत बेद पुरान ॥ परमेसुर की बासना, अन्त समय मन माहिं । तन छूटे हरि कूँ मिलै, उपजै बिनसै नाहिं ॥ N/A References : N/A Last Updated : December 19, 2023 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP