काण्डसमाप्तिः - श्लोक ६०५ ते ६०८

अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है।


६०५ - उक्तं स्वर्व्योमदिक्कालधीशब्दादि सनाट्यकम्

६०६ - पातालभोगिनरकं वारि चैषां च सङ्गतम्

६०७ - इत्यमरसिंहकृतौ नामलिङ्गानुशासने

६०८ - स्वरादिकाण्डः प्रथमः साङ्ग एव समर्थितः

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Last Updated : March 30, 2010

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