Dictionaries | References

गुप्त मन, उ तम वाचा धरी, तो सुखें देशपलाटन करी

   
Script: Devanagari

गुप्त मन, उ तम वाचा धरी, तो सुखें देशपलाटन करी

   जो आपले विचार मनात ठेवतो, भाबड्यासारखे वाटेल तेथे बोलून टाकीत नाही
   तसेच जो नेहमी वाचेने बोलावयाचे ते चांगलेच बोलतो, अपशब्‍द सहसा तोंडावाटे बाहेर काढीत नाही, तो सर्व देशभर हिंडला तरी त्‍याला कोठे त्रास होत नाही. याकरितां बडबड करूं नये व नेहमी चांगले बोलत जावे.

Related Words

गुप्त मन, उ तम वाचा धरी, तो सुखें देशपलाटन करी   मन      गुप्त   तम   वाचा   اُو(उ)   गुप्त रोग   गुप्त संगठन   गुप्त संगठना   गुप्त राजवंश   गुप्त द्वार   मन मारप   मन मारना   मन मारणे   करी   धरी   मन मानेल तो सौदा   मन धरणें   आपले मन जिंकी, तो धन्य म्हणावा लोकीं   उ अक्षर   स्वराक्षर उ   मन नाहीं राजी, तो क्या करेगा काजी   गुप्त वंश   गुप्त कार्यवाही   गुप्त दुयेंस   गुप्त मसलत   गुप्त गिरोह   गुप्त कारवाई   गुप्त रुपाचें   गुप्त एजेंसी   गुप्त संकेत   गुप्त मार्ग            اُ   उकारः   चिंता करी राग, तेव्हां आत्‍मा धरी जाग   मन मोडणें   आधीं वाचा जाते, मग जीव जातो   आपले मन स्वाधीन नाही, बंधनी तो कदां न राही   गुप्तसंकेत   गुप्तरोग   तो   स्वर अक्षर उ   मन नाहीं थिरी, उगीच तीर्थ करी   मन नाहीं स्थिरी, बहु तीर्थ करी   गुप्त आश्रय देना   जो काम लोभ दूर सारी, तो सुखें वर्ते देहधारी   चांगले करी, अशी सोय धरी   केंद्रीय गुप्त समाचार संस्था   इच्छा करी पुत्राची, तो हानि झाली भर्त्याची   उद्योग इष्काचा वैरी, तो इच्छेचे विरूद्ध करी   बहु बडबड करी, तो थोडें आचरी   गुप्त शरण देना   ज्‍यास नाहीं साळी, तो करी आईची टवाळी   वाणी   मन राजा, मन परजा, मनाले कोण वरजा   दोहोंतर्फे जो विचार न करी, तो एकाचें वाईट करी   कोल्‍हा मोठा हिकमती, धरी त्‍यास तो त्‍याहून जास्‍ती   उ॥   रिकामें मन सैतानाचं धन   रिकामें मन सैतानाचं सदन   करमणे   ବାକ୍‌ଶକ୍ତି   ਵਾਣੀ   സംസാരശേഷി   વાણી   मनास मानेल तो सौदा   कारभार योग्‍य करी, निंदेचा संतोष धरी   चांगले करी, त्‍याचें भय न धरी   ਧਰੀ   ଝରା   ധരി   دٔری   دَھری   मन राजा, मन प्रजा   मन माने तो कायदा   चढेल तो पडेल   फिरेल तो चरेल   फिरे तो चरे   मन मिलेसो मेला, चित्त मिलेसो चेला, नहीं तो अकेला भला   जो राहे देवाच्या निर्धारी, तो जन्म मृत्‍यूला दूर करी   खाईल तो गाईल   उपभोग घेता त्याचा माल, संपादन करी तो धनपाल   दिसून द्दष्टि करी मंद, तो असे पूर्ण अंध   रिकामें मन आणि कुविचाराची धन   धर्मसावर्णि मन   सोडी लाज तो करी काज   मन मनाविणें   मन गडबडणें   मन मुंडणें   ವಾಣಿ   मन घालणे   मन घालणें   मन जाणें   मन देणें   मन लावणें   मन बसणें   
Folder  Page  Word/Phrase  Person

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP