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आर्यपुत्र
Meanings: 9; in Dictionaries: 6
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আর্যপুত্র
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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آریہ پُتر
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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આર્યપુત્ર
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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ଆର୍ଯ୍ୟପୁତ୍ର
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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आर्यपुत्रः
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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আর্য-পুত্র
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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आर्य-पुत्र
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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सुष्ठु
Meanings: 13; in Dictionaries: 4
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इदानीम्
Meanings: 11; in Dictionaries: 4
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विज्ञा
Meanings: 16; in Dictionaries: 3
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विनय
Meanings: 56; in Dictionaries: 10
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रत्नावली - चतुर्थोङ्कः
‘ रत्नावली’ नाटकात हर्षाने प्राकृत भाषांपैकी शौरसेनीचा मुख्यत्वेंकरून उपयोग केला आहे.
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वेणीसंहारः - द्वितीयोऽङ्कः
भट्ट नारायण संस्कृत के महान नाटककार थे। वे अपनी केवल एक कृति वेणीसंहार के द्वारा संस्कृत साहित्य में अमर हैं।
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अयोध्याकांडम् - काव्य ५१ ते १००
महाराष्ट्रकविवर्य श्रीमयूरविरचिते ग्रन्थ ‘ संस्कृतकाव्यानि ’
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रत्नावली - तृतीयोऽङक्
‘ रत्नावली’ नाटकात हर्षाने प्राकृत भाषांपैकी शौरसेनीचा मुख्यत्वेंकरून उपयोग केला आहे.
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रत्नावली - द्वितीयोऽङकः
‘ रत्नावली’ नाटकात हर्षाने प्राकृत भाषांपैकी शौरसेनीचा मुख्यत्वेंकरून उपयोग केला आहे.
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वेतालपञ्चविंशति - कथा १२
`बेताल पचीसी' पच्चीस कथाओं से युक्त एक ग्रन्थ है । इसके रचयिता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रम के नौ रत्नों में से एक थे । ये कथायें राजा विक्रम की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं ।
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आर्य
Meanings: 103; in Dictionaries: 11
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धृ
Meanings: 34; in Dictionaries: 4
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श्री स्वामी समर्थ सारामृत - अध्याय १
स्वामी समर्थांचा आशीर्वाद "भिऊ नकोस मी तुझ्या पाठीशी आहे"
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वेतालपञ्चविंशति - कथा १०
`बेताल पचीसी' पच्चीस कथाओं से युक्त एक ग्रन्थ है । इसके रचयिता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रम के नौ रत्नों में से एक थे । ये कथायें राजा विक्रम की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं ।
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रत्नावली - प्रथमोऽङकः
‘ रत्नावली’ नाटकात हर्षाने प्राकृत भाषांपैकी शौरसेनीचा मुख्यत्वेंकरून उपयोग केला आहे.
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एकादशी महात्म्य - रमा एकादशी
एकादशी व्रताचे नुसते श्रवण केल्यासही श्रोत्याला या जगात अनेक सुखोपभोग मिळतात व शेवटी त्याला विष्णुलोकात स्थान प्राप्त होते.
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हर्षचरितम् - चतुर्थ उच्छ्वासः
हर्षचरित संस्कृत में बाणबट्ट द्वारा रचित एक ग्रन्थ है। इसमें भारतीय सम्राट हर्ष का जीवनचरित वर्णित है।
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काशीखण्डः - अध्याय ६६
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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रत्नावली - तृतीय अंक
‘ रत्नावली’ नाटकात हर्षाने प्राकृत भाषांपैकी शौरसेनीचा मुख्यत्वेंकरून उपयोग केला आहे.
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वेतालपञ्चविंशति - कथा १
बेताल पचीसी पच्चीस कथाओं से युक्त एक ग्रन्थ है । इसके रचयिता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रम के नौ रत्नों में से एक थे । ये कथायें राजा विक्रम की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं ।
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रत्नावली - चतुर्थ अंक
‘ रत्नावली’ नाटकात हर्षाने प्राकृत भाषांपैकी शौरसेनीचा मुख्यत्वेंकरून उपयोग केला आहे.
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वेणीसंहारः - षष्ठोऽङ्कः
भट्ट नारायण संस्कृत के महान नाटककार थे। वे अपनी केवल एक कृति वेणीसंहार के द्वारा संस्कृत साहित्य में अमर हैं।
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