Dictionaries | References

मन खाणे

   
Script: Devanagari

मन खाणे

 क्रि.  खंत लागून राहणे , खेद वाटणे , टोचणी लागणे , डाचणे , पस्तावा होणे , सतत पश्वात्ताप वाटणे .

Related Words

मन   मन मारप   मन मारना   मन मारणे   खाणे   मन खाणे   पैसे खाणे   दात खाणे   ओरडा खाणे   चावून खाणे   सफाचट करना   डाँट खाना   पिनकना   करमणे   मन राजा, मन प्रजा   धर्मसावर्णि मन   मन मनाविणें   मन गडबडणें   मन मुंडणें   मन घालणे   मन घालणें   मन जाणें   मन देणें   मन लावणें   मन बसणें   मन लागणें   शुद्ध मन   मन कांपणें   मन-काळीज   मन तुटणें   मन नपर्दो   मन विटणें   मन धरणें   मन लगना   मन उठणें   मन उडणें   मन मोडणें   मन भरना   ആലോചിക്കുക   ಇಷ್ಟವಾಗು   आवैचे मन कांतली, भुर्ग्याचे मन करटी   उद्योगानें मन स्वच्छ राहते, आळसानें मन खातें   मन पळोन धन   खार खाणे   गम खाणे   कच खाणे   गोता खाणे   शपथ खाणे   चाटूनपुसून खाणे   झोकांड्या खाणे   लाच खाणे   मार खाणे   मेळ खाणे   रडी खाणे   पड खाणे   पलटी खाणे   प्राण खाणे   हाय खाणे   हार खाणे   मन राजा, मन परजा, मनाले कोण वरजा   संशयि मन सावळेक भित्ता   संशयी मन सावळेक भित्ता   अंदाधुंद मन हरा गाय   खालीवर मन होणें   मन दुग्ध्यांत पडणें   തൂക്കത്തിൽ വരുക   रिकामें मन सैतानाचं धन   रिकामें मन सैतानाचं सदन   मन मानेल तो सौदा   नापसंद   तुझें मन माझे साक्षीशी आणि माझें मन तुझे परीक्षेशी   देव मन पाळौन धन दिता   दिलो-दिमाग़   دِلو دٮ۪ماغ   ಮನಸ್ಸು-ಬುದ್ಧಿ   psyche   अंग उदकान नितळ, मन सतान   आंग उदकान नितळ, मन सतान   रिकामें मन आणि कुविचाराची धन   ज्‍याचें मन त्‍याला ग्‍वाही देतें   मन चिंती तें वैरी चिंतीना   दात ओठ खाणे   मनात मांडे खाणे   विटलें मन आणि फुटलें मोतीं सांधत नाहीं   वैरी न चिंती तें मन चिंती   कपटी मित्राचें मन, अधिक दुष्‍ट सर्पाहून   आपले मन जिंकी, तो धन्य म्हणावा लोकीं   मन नाहीं थिरी, उगीच तीर्थ करी   मन नाहीं स्थिरी, बहु तीर्थ करी   देवु जाला लागी, मन गेलें दूर   एक उत्रानें मोळ्ळोलें मन, धा उत्राने समजाइना   भोंवचें गेलो तीर्थांतु, मन उरलें घरांतु   भोवचा गेलो तीर्थांतु, मन उरलें घरांतु   पिसो मन मेकळता, बुदवंतु बांदुन दवरता   ज्‍याचें जया ध्यान, तेंच होय त्‍याचें मन   दुष्ट संगतीनें मन, दोषी न करिती सुजन   रायागेलें मन आनि रुक्का सावळी तत्तावळी परतता   उदार मन ठेव संपत्तिकाळीं, स्थीर असावें विपत्तिवेळीं   ठेवी मन स्‍वाधीन, राहे प्रगट डौलानं   मन नाहीं राजी, तो क्या करेगा काजी   
Folder  Page  Word/Phrase  Person

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP