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भुकेलें कोल्हें, काकडीला राजी

   
Script: Devanagari

भुकेलें कोल्हें, काकडीला राजी

   भुकेच्या वेळीं जें मिळेल त्यांत मनुष्य समाधान मानतो. आयत्यावेळीं जें उपलब्ध असेल त्यावर मनुष्य आपली गरज भागवतो. एकदां एक कोल्हा एका मळयांत गेला तेथें द्राक्षें वगैरे अनेक फळें होतीं परंतु तीं मांडयावर उंचावर होतीं त्यामुळें त्याच्या हातास येईनात. अखेरीस त्यास एक काकडी जमिनीवर आडवी पडलेली दिसली. तेव्हां पोटांत भूक लागली असल्यामुळें तो मनांत म्हणाला बाकीचीं फळें राहूं द्या तूर्त या काकडीवरच भागवून घेऊं.

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