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प्रसवपीडाहरव्रत

रोग हनन व्रत - प्रसवपीडाहरव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


प्रसवपीडाहरव्रत

( संस्कारप्रकाश ) - पलाशपत्रके दोनेमें एक पल ( लगभग चार तोला ) तिलका तैल भरकर दूर्वाके इक्कीस पत्रोंद्वारा प्रदक्षिणा - क्रमसे उसका आलोडन करे ( दूर्वाङ्कुरोंको तैलमें घुमावे ) । उस समय प्रत्येक बारके आलोडनमें

' हिमवत्युत्तरे पार्श्वे शबरी नाम यक्षिणी । तस्या नूपुरशब्देन विशल्या स्यात्तु गर्भिणी ॥'

इस मन्त्नका उच्चारण करता रहे । इक्कीस बार जप हो जानेपर उसमेंसे थोड़ा - सा तैल गार्भिणीको पिलावे और स्वयं उपवास करके उक्त मन्त्रका जप करे । इससे सुखपूर्वक प्रसव होता है और गर्भावस्थाकी पीड़ा मिट जाती है ।

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Last Updated : January 16, 2012

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