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मन्दाग्नि उपशमनव्रत

रोग हनन व्रत - मन्दाग्नि उपशमनव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


मन्दाग्नि - उपशमनव्रत

( वृद्धपराशर ) - यदि मिल सके तो शुक्लपक्षके सप्तमी पुष्यार्क अथवा दशमी गुरुवारको ' अग्निसूक्त ' ' श्रीसूक्त ' अथवा ' जातवेदसे ' ऋचाके जप और चाँदीके मेष ( मेढा ) का दान करके पलाश ( छीला ) की समिधाओंमें घीसे हवन करे और एकभुक्त ( किसी भी एक पदार्थको भक्षण कर ) व्रत करे । इस प्रकार करनेसे मन्दाग्नि नष्ट हो जाती है । सूर्यारुणके कथनानुसार अभक्ष्य - भक्षणके दुष्प्रभावसे और आयुर्वेदके मतानुसार कफ - प्रकृतिसे मन्दाग्नि होती है ।

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Last Updated : January 16, 2012

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