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अश्मर्युपशमनव्रत

रोग हनन व्रत - अश्मर्युपशमनव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


अश्मर्युपशमनव्रत

( मुक्तकसंग्रह ) - पूर्वजन्मके अगम्यागमनादि महापापोंके प्रभावसे अथवा वात, पित्त, कफ और शुक्रके विकृत होनेसे अश्मरीका आक्रमण होता है । उसके प्रतीकारके लिये ज्यौतिषशास्त्रोक्त शुभ मुहूर्तमें प्रातःस्त्रानादि नित्यकर्मसे निवृत्त होकर

' हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे । हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ॥'

इस मन्त्नका दस हजार बार जप करे और पलाश ( छीला ) की समिधा तथा घीसे इसी मन्त्रकी एक हजार आहुति दे तथा दूध पीकर रहते हुए ईश्वरका स्मरण करे ।

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Last Updated : January 16, 2012

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