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भगन्दरहरदानव्रत

रोग हनन व्रत - भगन्दरहरदानव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


भगन्दरहरदानव्रत

( सूर्यारुण ८५ ) - माघ या वैशाखके शुक्लपक्षमें सप्तमी रविवारको प्रातःस्त्रानादि करनेके पश्चात् आकके पत्तेके आसनपर बैठकर सूर्याभिमुख हो यथाशक्ति सोना, चाँदी या ताँबेके पात्रमें गायका घी भरे और उसमें यथासम्भव माणिक्य आदि रत्नोके कण डालकर गन्धादिसे पूजन करे । पीछे सूर्यादि ग्रहोंके मन्त्नोसे आठ, अट्ठाईस या एक सौ आठ आहुति देकर उक्त घृतपूर्ण पात्रका दान करे । दान देते समय

' आदित्यादिग्रहाः सर्वे नवरत्नप्रदानतः । विनाशयन्तु मे दोषान् क्षिप्रमेव भगन्दरम् ॥'

इस मन्त्रको पढ़े ।

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Last Updated : January 16, 2012

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