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मान्धातृ m. m. (
cf. मन्धातृ) N. of a king (son of युवनाश्व, author of [RV. x, 134] ), [ĀśvŚr.] ; [MBh.] &c.
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मान्धातृ [māndhātṛ] m. m. N. of a king of the solar race, son of Yuvanāśva (being born from his own belly). As soon as he came out of the belly, the sages said 'कम् एष धास्यति'; whereupon Indra came down and said 'मां धास्यति'; the boy was, therefore, called Māndhātṛi.
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of another prince (son of मदन-पाल, patron of विश्वेश्वर), [Cat.]
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मान्धातृ (यौवनाश्व) n. (सू.इ,) ऋग्वेद में निर्दिष्ट अयोध्या का एक सुविख्यात राजा, जो अश्विनों का आश्रित था [ऋ.१.११२.१३] । ऋग्वेद में इसका निर्देश अनेक बार प्राप्त है, किंतु वहॉं प्रायः सर्वत्र इसे ‘मंधातृ’ कहा गया है । ‘मान्धातृ’ का शब्दशः अर्थ ‘पवित्र व्यक्ति’ है, जिस आशय में इसका निर्देश ऋग्वेद में प्राप्त है [ऋ.१.११२.१३, ८.३९.८, १०.२.२] । अन्य एक स्थान पर इसे अंगिरस् की भॉंति पवित्र कहा गया है [ऋ.८.४०.१२] । लुडविग के अनुसार, यह एक राजर्षि था, यह एवं नाभाक दोनों एक ही व्यक्ति थे [ऋ.८.३९-४२] ;[लुडविग-ऋग्वेद अनुवाद ३. १०७] । यह इक्ष्वाकुवंशीय युवनाश्व (द्वितीय) अथवा सौद्युम्नि राजा का पुत्र था, एवं इसकी माता का नाम गौरी था, जो पौरव राजा मतिनार राजा की कन्या थी । इसी कारण इसे ‘यौवनाश्व’ पैतृकनाम, एवं ‘गौरिक’ मातृक नाम प्राप्त हुआ था [वायु.८८.६६-६७] । पुराणों में इसे विष्णु का पॉंचवॉं अवतार, ‘चक्रवर्तिन’ ‘सम्राट’, ‘दानशूर धर्मात्मा’ एवं सौ अश्वमेध एवं राजसूय करनेवाला बताया गया है । यह मनु वैवस्वत के वंश में बीसवी पिढी में उत्पन्न हुआ था, जिस कारण इसका राज्यकाल २७४० ई.पू.माना जाता है (मनु वैवस्वत देखिये) । यह यादव राजा शशबिन्दु का समकालीन था, जिससे इसका आजन्म शत्रुत्व रहा था । इसने इन्द्र का आधा सिंहासन जीत लिया था । इसने अपने राज्य के सीमावर्ती पौरव एवं कान्यकुब्ज राज्यों को जीता था, एवं उत्तरीपश्चिम में स्थित दुह्यु एवं आनव राजाओं को परास्त किया था । यादव राजा इअसके रिश्तेदार थे, जिस कारण इसने उनपर आक्रमण नही किया था । किन्तु पश्चिमी भारत में स्थित हैहय राजाओं को इसने जीता था ।
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