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रे मन -प्रति -स्वाँस पु...

नाम महिमा - रे मन -प्रति -स्वाँस पु...

भगवन्नामकी महिमा अपरंपार है, नामोच्चारसे जीवनके पाप नष्ट हो जाते है ।


रे मन-प्रति-स्वाँस पुकार यही, जय राम हरे ! घनश्याम हरे !

तन-नौकाकी पतवार यही, जय राम हरे घनश्याम हरे ॥१॥

जगमें व्यापक आधर यही, जगमें लेता अवतार वही ।

है निराकार-साकर यही, जय राम हरे घनश्याम हरे ॥२॥

ध्रुवको ध्रुव-पद दातार यही, प्रह्लाद गलेका हार यही ।

नारद-वीणाका तार यही, जय राम हरे घनश्याम हरे ॥३॥

सब सुकृतोंका आगार यही, गंगा-यमुनाकी धार यही ।

श्रीरामेश्वर हरिद्वार यही, जय राम हरे घनश्याम हरे ॥४॥

सज्जनका साहूकार यही प्रेमी-जनका व्यापार यही ।

सुख ’विन्दु’ सुधाका सार यही, जय राम हरे घनश्याम हरे ॥५॥

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Last Updated : January 22, 2014

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