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तेरी पार करैगो नैया , ...

नाम महिमा - तेरी पार करैगो नैया , ...

भगवन्नामकी महिमा अपरंपार है, नामोच्चारसे जीवनके पाप नष्ट हो जाते है ।


तेरी पार करैगो नैया, भज मन कृष्ण कन्हैया ॥

निशि-दिन भज गोपाल पियारे, मोर-मुकुट पीताम्बर-बारे ।

भक्तोंके रखवैया, भज मन कृष्ण कन्हैया ॥१॥

स्वाँस-स्वाँस भज नन्द-दुलारे, वोही बिगड़े काज सँवारे ।

नटवर चतुर रिझैया, भज मन कृष्ण कन्हैया ॥२॥

अर्जुनके हित रथको हाँका, साँवरिया गिरधारी बाँका ।

भारत युध्द जितैया, भज मन कृष्ण कन्हैया ॥३॥

ग्वाल-बाल सँग धेनु चरावै, लूट-लूट दधिमाखन खावै ।

कालीनाग नथैया, भज मन कृष्ण कन्हैया ॥४॥

भक्त सुदामा चावल लाये, गले लगाकर भोग लगाये ।

कहकर भैय-भैया, भज मन कृष्ण कन्हैया ॥५॥

नरसीजीने टेर लगाई, साँवलशाह नहिं देर लगाई ।

ऐसे भात भरैया, भज मन कृष्ण कन्हैया ॥६॥

सकटसे प्रह्लाद उबार् यो, खंभ फाड़ हिरनाकुश मार् यो ।

नरसिंह-रुप धरैया, भज मन कृष्ण कन्हैया ॥७॥

जल-डूबत गज हरिहिं पुकार् यो, छड़ि गरुड़ प्रभु तुरत सिधार् यो ।

गजकी टेर सुनैया, भज मन कृष्ण कन्हैया ॥८॥

आरत हो गजराज पुकारा, मैं हूँ भगवन् दास तुम्हारा ।

पहुँचे गरुड़ चढ़ैया , भज मन कृष्ण कन्हैया ॥९॥

अबलाको दे शरण न कोई, भरी सभामें द्रौपदी रोई ।

पहूँचे चीर बढ़ैया, भज मन कृष्ण कन्हैया ॥१०॥

वनमें एक शिला थी भारी, चरण छुवाय अहिल्या तारी ।

ऐसे स्वर्ग पठैया, भज मन कृष्ण कन्हैया ॥११॥

दीनानाथ सर्व हितकारी, संकट-मोचन कृष्ण मुरारी ।

जनका पत रखवैया, भज मन कृष्ण कन्हैया ॥१२॥

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Last Updated : January 22, 2014

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